
उदित वाणी, जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम के गोड़ाडीह गांव के 17 वर्षीय सायरस कुमार दत्ता ने सीमित संसाधनों के बीच अपनी प्रतिभा और वैज्ञानिक सोच से वो कर दिखाया है, जिसकी कल्पना भी कठिन थी। पीएम श्री उत्क्रमित उच्च विद्यालय, खुकड़ाडीह के छात्र सायरस ने विज्ञान शिक्षिका कल्पना भकत के मार्गदर्शन में “खिड़की सीढ़ी – इमरजेंसी एस्केप लैडर” मॉडल का निर्माण किया। यह मॉडल किसी आपात स्थिति में सुरक्षित निकासी का व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करता है।
इंस्पायर अवार्ड से जापान की उड़ान तक
इस मॉडल ने 2024 में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘इंस्पायर मानक अवार्ड’ प्रतियोगिता में झारखंड को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिलाया। अब, सायरस को जापान सरकार के प्रतिष्ठित “सकुरा साइंस हाई स्कूल प्रोग्राम” के तहत जापान जाने का गौरव प्राप्त हुआ है। पूरे झारखंड से चुने गए सायरस एकमात्र छात्र हैं, जो 15 से 21 जून तक टोक्यो और अन्य शहरों में वैज्ञानिक संस्थानों का भ्रमण करेंगे।
वैज्ञानिक स्थलों का मिलेगा सजीव अनुभव
इस भ्रमण के दौरान सायरस टोक्यो स्थित ओमिया किता हाई स्कूल, नेशनल म्यूज़ियम फॉर नेचर एंड साइंस, राइकेन कंप्यूटेशन सेंटर, स्पेस सेंटर, मैथमैटिक्स एक्सपीरियंस प्लाज़ा, तेपिया एडवांस टेक्नोलॉजी गैलरी सहित कई प्रतिष्ठानों का दौरा करेंगे। भारत के 20 राज्यों से 54 विद्यार्थियों को इस कार्यक्रम के लिए चुना गया है।
गांव में जश्न, विद्यालय में सम्मान समारोह
सायरस की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर गांव और विद्यालय में हर्ष का माहौल है। उनके विद्यालय में एक समारोह आयोजित कर उन्हें शुभकामनाएं दी गईं। यूसिल जादूगोड़ा के उप महाप्रबंधक एम. माहली ने उन्हें ₹25,000 का चेक देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में प्रधानाध्यापक अरुण कुमार, विज्ञान शिक्षिका कल्पना भकत, निश्चय फाउंडेशन के प्रतिनिधि तरुण कुमार समेत कई लोग उपस्थित रहे।
पिता हैं ऑटो चालक, बेटे पर गर्व
सायरस के पिता प्रेमजीत कुमार दत्ता, जो पेशे से ऑटो चालक हैं, भावुक स्वर में कहते हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनका बेटा जापान तक जाएगा। सायरस ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, शिक्षकों और विद्यालय को दिया है।
दिल्ली तक की यात्रा बनी चुनौती
जापान जाने की व्यवस्था तो भारत सरकार ने की, लेकिन गांव से दिल्ली तक का खर्च जुटाना एक बड़ी चुनौती थी। विद्यालय प्रबंधन समिति व समाजसेवियों के प्रयास से सहयोग जुटाया गया, और सायरस 12 जून की रात दिल्ली रवाना हुए।
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