
उदित वाणी, रांची : 38 करोड़ रूपये के शराब घोटाला मामले में झारखंड भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो [एसीबी] ने बड़ी कार्रवाई की. एसीबी ने मामले में तत्कालीन उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सचिव सह तत्कालीन झारखण्ड विबरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के निदेशक आईएएस विनय कुमार चौबे तथा तत्कालीन संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेन्द्र सिंह को गिरफतार कर लिया. चौबे वर्तमान में पंचायती राज विभाग में प्रधान सचिव हैं. एसीबी ने मंगलवार को पूर्वाहन लगभग 11 बजे आईएएस विनय चौबे को उनके आवास सी-5 सेन्ट्रल अशोका कॉलोनी अशोक नगर रोड न-3 से उठाकर ले गई और 6 घंटे तक पूछताछ के बाद उन्हें गिरफतार कर लिया गया.
विनय चौबे से पूछताछ के दौरान ही आईएएस गजेन्द्र सिंह को भी एसीबी कार्यालय बुलाकर उनसे पूछताछ करने के बाद गिरफतार किया गया. दोनों अधिकारियों से पूछताछ के दौरान ही एसीबी द्वारा मेडिकल टीम को बुलाया गया था और मेडिकल जांच के बाद उनकी गिरफ्तारी की घोषणा कर दी गई. गिरफतारी के बाद दोनों अधिकारियों को रांची स्थित एसीबी की बिशेष अदालत में पेश किया गया. अदालत द्वारा दोनों अधिकारियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेज दिया गया. वहीं एसीबी की ओर से अदालत में आवेदन देकर 5 दिनों की रिमांड मांगी है. रिमांड को लेकर बुधवार को सुनवाई किये जाने की संभावना है.
भ्रष्ट आचरण में लित्त थे दोनों आईएएस अधिकारी, जालसाजी व धोखाधडी कर सामुहिक अपराध कर प्लेसमेंट एजेंसियों को अनैतिक लाभ पहुचाया
एसीबी द्वारा बयान जारी कर कहा गया कि शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे भ्रष्ट आचरण में लिप्त थे. चौबे और प्राथमिकी अभियुक्त गजेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर 3 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. चौबे ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए शराब की बिक्री करने के लिए प्लेसमेन्ट एजेंसियों के चयन में विहित प्रक्रिया एवं प्रावधानों का समूचित अनुपालन नहीं किया और अपराधिक मिलीभगत से कुटरचना कर सरकार के साथ जालसाजी व धोखाधडी कर सामुहिक अपराध एवं अनैतिक लाभ पहुचाया गया. जिसकी वजह से झारखण्ड सरकार को लगभग 38 करोड का नुकसान होने से संबंधित प्रर्याप्त साक्ष्य मिला है.
साक्ष्यों के आधार पर मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग से अनुमोदन प्राप्त कर एसीबी कांड संख्या 9/25 दिनांक 20.5.2025 धारा-120बी, भादवि आर/डब्ल्यू की धारा-420, 467, 468, 471, 409, 407, 109 एवं आईपीसी [कॉरेसपोंडिंग सेक्शन बीएनएस की धारा 61 [2] आर/डब्ल्यू की धारा-318, 336, 340, 316, 45 व 49] और धारा-7सी/12, धारा-13 [2], आर/डब्ल्यू 13 [1ए] पीसी एक्ट 1988 [संशोधित 2018] के तहत गिरफतार किया गया है. उनके साथ तथा प्राथमिकी अभियुक्त तत्कालीन संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेन्द्र सिंह को भी गिरफतार किया गया.
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