
नई दिल्ली: कोयला मंत्रालय ने कमर्शियल कोयला खनन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. मंत्रालय ने मंगलवार को जानकारी दी कि भारत सरकार ने अब तक कुल 200 कोयला ब्लॉकों का आवंटन पूरा कर लिया है, जो कोयला क्षेत्र में जारी संरचनात्मक और आर्थिक सुधारों की दिशा में एक मील का पत्थर है.
निजी भागीदारी को बढ़ावा और आत्मनिर्भरता की ओर पहल
इस उपलब्धि को चिह्नित करते हुए सिंघल बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड को मारवाटोला-II कोयला ब्लॉक आवंटित किया गया है. मंत्रालय के अनुसार यह कदम क्षेत्रीय सुधारों को गति देने, निजी निवेश को आमंत्रित करने और घरेलू कोयला उत्पादन के ज़रिए आत्मनिर्भरता को मज़बूत करने की दिशा में उठाया गया एक और ठोस प्रयास है.
भविष्य के लिए तैयार कोल इकोसिस्टम का निर्माण
मंत्रालय का कहना है कि वह एक मजबूत, पारदर्शी और भविष्योन्मुखी कोयला पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके अंतर्गत निवेश के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना, प्रक्रियात्मक बाधाओं को कम करना और देशभर में कोयला ब्लॉकों का शीघ्र संचालन सुनिश्चित करना शामिल है.
ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास को मिलेगा बल
यह मील का पत्थर सिर्फ खनन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय ऊर्जा मैट्रिक्स को संतुलित करने, दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और कोयला आयात पर निर्भरता को घटाने के दृष्टिकोण को भी दर्शाता है. मंत्रालय ने कहा कि इस पहल का असर न केवल आर्थिक विकास में दिखाई देगा बल्कि भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को भी सुदृढ़ करेगा.
झारखंड की कंपनियों ने दिखाई गहरी रुचि
कमर्शियल कोल ब्लॉकों की नीलामी के 12वें दौर में 11 खदानों के लिए कुल 41 बोलियां प्राप्त हुईं. इनमें झारखंड एक्सप्लोरेशन एंड माइनिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही. इस दौर में दामोदर वैली कॉरपोरेशन, जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड, एनएलसी इंडिया लिमिटेड जैसी प्रमुख कंपनियों ने भी बोली लगाई.
पारदर्शी प्रक्रिया और डिजिटल निगरानी की पहल
बोलियों की प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी बनाया गया. ऑनलाइन बोलियों को डिक्रिप्ट कर बोलीदाताओं की उपस्थिति में खोला गया और सीलबंद लिफाफों को भी उसी पारदर्शिता के साथ खोला गया. इससे प्रक्रिया में भरोसे और प्रतिस्पर्धा दोनों का विस्तार हुआ.
सुधारों की दिशा में सशक्त कदम
कोयला मंत्रालय पिछले वर्षों में कई नीतिगत सुधार लागू कर चुका है जैसे कि सिंगल-विंडो क्लीयरेंस सिस्टम, डिजिटल मॉनिटरिंग टूल्स और पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया. इन पहलों ने न सिर्फ कोयला क्षेत्र के संचालन को सुगम बनाया है बल्कि निजी क्षेत्र के लिए नए अवसर भी निर्मित किए हैं.
(IANS)
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