उदित वाणी, जमशेदपुर: कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जीएसटी कर प्रणाली की वर्तमान व्यवस्था पर तंज कसते हुए कहा की यह अब एक औपनिवेशिक कर प्रणाली बन गई है जो जीएसटी के मूल घोषित उद्देश्य “गुड एंड सिंपल टैक्स के ठीक विपरीत है. वर्तमान जीएसटी कर प्रणाली व्यापार की जमीनी हकीकत से काफी दूर है. जीएसटी के तहत 1100 से अधिक संशोधनों और नियमों की शुरूआत ने कर प्रणाली को बेहद जटिल बना दिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस की मूल धारणा के बिलकुल खिलाफ है. कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोन्थालिया ने कही की जीएसटी कर ढाँचे की नए सिरे से समीक्षा कर उसे सरल बनाया जाए.
सोन्थालिया ने पिछले 4 वर्षों से अधिकारियों द्वारा जीएसटी के वर्तमान स्वरुप की कड़ी आलोचना करते हुए कहा की जीएसटी लागू होने के लगभग 4 साल बाद भी जीएसटी पोर्टल चुनौतियों से जूझ रहा है. नियमों में संशोधन किया गया है लेकिन पोर्टल उक्त संशोधनों के साथ समय पर अद्यतन करने में विफल है. अभी तक किसी भी राष्ट्रीय अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन नहीं किया गया है. “वन नेशन-वन टैक्स” के मूल सिद्धांतों को विकृत करने के लिए राज्यों को अपने तरीके से कानून की व्याख्या करने के लिए राज्यों को खुला हाथ दिया गया है. जीएसटी अधिकारी ई सिस्टम के द्वारा कर पालना तो कराना चाहते हैं किन्तु देश में व्यापारियों के बड़े हिस्से को अपने मौजूदा व्यवसाय में कम्प्यूटरीकरण को अपनाना बाकी है, इसपर उन्होंने कभी नहीं सोचा और व्यापारियों को कंप्यूटर से लैस करने के विषय में कोई एक कदम भी नहीं उठाया गया है.
हाल ही में एक जीएसटी में एक नियम लागू करके जीएसटी अधिकारियों को किसी भी व्यापारी के जीएसटी पंजीकरण को रद्द करने का मनमाना अधिकार दे दिया है. जिसमें व्यापारियों को कोई नोटिस नहीं दिया जाएगा और सुनवाई का कोई अवसर भी नहीं दिया जाएगा. यह न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत के बिलकुल विरूद्ध है. जीएसटी कानून को बेहद विकृत किया गया है, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि 31 दिसंबर, 2020 तक जीएसटी लागू होने की तारीख के बाद से कुल 927 अधिसूचनाएं जारी की गई हैं, 2017 में 298, 2018 में 256, 2019 में 239 और 2020 में 137 सूचनाएं। ऐसी स्थिति में हम व्यापारियों से कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वे कराधान प्रणाली का समय पर अनुपालन करें. सोन्थालिया ने कहा कि कर ढांचे के सरलीकरण और युक्तिकरण को करना जरूरी है.
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