नई दिल्ली: वर्ष 2025 की पहली तिमाही में वैश्विक स्मार्टफोन बाजार ने एक सकारात्मक संकेत दिया है. इस अवधि में स्मार्टफोन की वैश्विक बिक्री में सालाना आधार पर तीन प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. ‘काउंटरपॉइंट’ की मार्केट मॉनिटर सर्विस द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, औसत बिक्री मूल्य (एएसपी) भी एक प्रतिशत बढ़कर 364 डॉलर हो गया.
टैरिफ चुनौतियों के बावजूद बाजार में स्थिरता
रिपोर्ट में कहा गया है कि टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताओं के बावजूद, स्मार्टफोन कंपनियों ने रणनीतिक रूप से चैनलों में स्टॉक बनाए रखकर संभावित जोखिमों को काफी हद तक नियंत्रित किया. मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) ने समय पर आपूर्ति और मूल्य निर्धारण में लचीलापन दिखाया.
एआई और रणनीतिक उत्पादन ने दी रफ्तार
वरिष्ठ विश्लेषक शिल्पी जैन के अनुसार, उत्पादन रणनीतियों में बदलाव और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) क्षमताओं को तेजी से अपनाने के कारण यह वृद्धि संभव हो सकी है. उन्होंने बताया कि इस विस्तार में उन ब्रांड्स की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही जो पारंपरिक टॉप 5 से बाहर हैं — जैसे गूगल, मोटोरोला और हुआवेई.
प्रीमियम सेगमेंट में बदलाव, फिर भी Apple टॉप पर
हालांकि Apple के आईफोन का औसत विक्रय मूल्य नौ प्रतिशत गिरा, लेकिन ब्रांड की कुल आमदनी पर इसका खास असर नहीं पड़ा. एप्पल ने अपनी शिपमेंट में 12 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर्ज की, जिसमें आईफोन 16ई की लॉन्चिंग का विशेष योगदान रहा. शोध निदेशक जेफ फील्डहैक के अनुसार, यह रणनीति तिमाही के लिहाज से काफी कारगर साबित हुई.
Samsung का दबदबा बरकरार, लेकिन राजस्व में गिरावट
शिपमेंट के लिहाज से सैमसंग ने वैश्विक बाजार में अपनी अग्रणी स्थिति बनाए रखी है. हालांकि, इसके राजस्व में गिरावट आई क्योंकि इसके उत्पादों में किफायती मॉडलों की हिस्सेदारी बढ़ने से एएसपी में सात प्रतिशत की कमी आई.
भारत में प्रदर्शन से Vivo को मिला लाभ
Vivo ने भारत जैसे प्रमुख बाजारों में बेहतरीन प्रदर्शन किया, जिसके चलते उसकी राजस्व वृद्धि सुनिश्चित हो सकी. रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी ने अपने पोर्टफोलियो को प्रीमियम और मिड-रेंज के बीच संतुलित बनाए रखा.
आने वाले महीनों में हल्की गिरावट की आशंका
रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि वर्ष 2025 में टैरिफ और आपूर्ति श्रृंखला संबंधी अनिश्चितताओं के चलते वैश्विक स्मार्टफोन बाजार में कुछ गिरावट देखने को मिल सकती है. उपभोक्ता भावना और वैश्विक आर्थिक संकेतकों में संभावित मंदी इसका कारण हो सकती है.
(IANS)
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