उदित वाणी, नई दिल्ली: कोलंबिया विश्वविद्यालय में शहरी योजना की पीएचडी की छात्रा रंजनी श्रीनिवासन ने अमेरिका में अपने वीजा के रद्द होने के बाद उस देश को छोड़ने का कठिन निर्णय लिया. उनका यह कदम उस समय उठाना पड़ा, जब अमेरिकी इमिग्रेशन एजेंटों ने पहली बार उनके अपार्टमेंट के दरवाजे पर दस्तक दी, जो उनके लिए एक भयावह और चौंकाने वाला अनुभव था. रंजनी ने इस भयावह अनुभव को साझा करते हुए कहा कि उनके दरवाजे पर तीन इमिग्रेशन एजेंटों के दस्तक देने के बाद उन्होंने दरवाजा नहीं खोला.
वीजा रद्द होने का कारण
अमेरिकी सरकार ने रंजनी श्रीनिवासन का वीजा 5 मार्च 2025 को रद्द कर दिया था. गृह सुरक्षा विभाग के मुताबिक, रंजनी को 11 मार्च को “स्वयं निर्वासन” करते हुए देखा गया था. अमेरिका सरकार ने उन पर यह आरोप लगाया कि वह हिंसा और आतंकवाद का समर्थन करती हैं और फलस्तीनी उग्रवादी समूह हमास से जुड़े गतिविधियों में शामिल थीं.
रंजनी श्रीनिवासन पर आरोप
श्रीनिवासन कोलंबिया विश्वविद्यालय में शहरी योजना की पीएचडी छात्रा थीं और उनका वीजा F-1 श्रेणी के तहत था. गृह सुरक्षा विभाग ने आरोप लगाया कि उन्होंने हमास समर्थक गतिविधियों में भाग लिया और इसलिए उनका वीजा रद्द कर दिया गया.
राजनीतिक विरोध और प्रशासन की प्रतिक्रिया
रंजनी श्रीनिवासन, जो एक फुलब्राइट स्कॉलर भी हैं, अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों द्वारा फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों पर की जा रही सख्ती का शिकार हो गईं. न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, वह उन कुछ विदेशी नागरिकों में शामिल हैं, जिन्हें हाल के दिनों में कोलंबिया विश्वविद्यालय में आव्रजन एजेंसी ने निशाना बनाया. उनका कहना था कि उनका वीजा रद्द होने के बाद उन्हें अब यह भी नहीं पता कि वह अपनी पांच साल की पढ़ाई पूरी कर पाएंगी या नहीं.
श्रीनिवासन ने सीएनएन को दिए एक बयान में कहा, “मेरा वीजा रद्द कर दिया गया, मेरा छात्र दर्जा खत्म कर दिया गया और मेरा भविष्य दांव पर लगा दिया – सिर्फ इसलिए कि मैंने अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग किया.”
स्वयं निर्वासन पर अमेरिकी सरकार की प्रतिक्रिया
कोलंबिया विश्वविद्यालय ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की. हालांकि, अमेरिकी गृह सुरक्षा मंत्री क्रिस्टी नोएम ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें श्रीनिवासन को लागार्डिया हवाई अड्डे पर सूटकेस के साथ देखा जा सकता है. उन्होंने इसे “स्वयं निर्वासन” बताते हुए सराहा और कहा कि अमेरिका में रहना एक विशेषाधिकार है, जो हिंसा और आतंकवाद का समर्थन करने वाले व्यक्तियों से छीन लिया जाना चाहिए.
वकीलों की प्रतिक्रिया
श्रीनिवासन के वकील इस आरोप को सख्त तरीके से खारिज कर चुके हैं और ट्रंप प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनका वीजा “संरक्षित राजनीतिक अभिव्यक्ति” के कारण रद्द किया गया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि श्रीनिवासन को इस फैसले को चुनौती देने का कोई उचित मौका नहीं दिया गया. वकील नाज अहमद ने कहा, “नोएम की पोस्ट न केवल तथ्यात्मक रूप से गलत है, बल्कि यह अमेरिका के मूल्यों के खिलाफ भी है.”
राजनीतिक बयान और अमेरिकी सरकार की नीति
गृह सुरक्षा विभाग ने दावा किया कि श्रीनिवासन ने पिछले साल अपना वीजा नवीनीकरण करते वक्त कोलंबिया विश्वविद्यालय में हुए दो विरोध प्रदर्शनों से जुड़े समन का खुलासा नहीं किया. हालांकि, विभाग ने यह स्पष्ट नहीं किया कि इन समनों से वह आतंकवाद का समर्थन कैसे कर सकती हैं.
श्रीनिवासन ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अब मुझे डर लग रहा है कि अगर कोई भी राजनीतिक बयान दिया जाए या सोशल मीडिया पर कोई टिप्पणी की जाए, तो सरकार किसी को भी आतंकवाद समर्थक ठहरा सकती है और उसकी जिंदगी बर्बाद कर सकती है.”
नए तरीके से निर्वासन की नीति
ट्रंप प्रशासन ने विश्वविद्यालय में वीजा धारकों को निशाना बनाकर नए तरीके से निर्वासन की नीति अपनाई है. इसके तहत विश्वविद्यालयों को यह आरोपित किया गया कि उन्होंने यहूदी छात्रों की सुरक्षा करने में विफलता दिखाई है, जिसके कारण विश्वविद्यालय को 400 मिलियन डॉलर के अनुदान से वंचित कर दिया गया है.
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