रांची: झारखंड एटीएस ने एक बार फिर आतंकवाद से जुड़े नेटवर्क पर सख्ती दिखाई है. इस बार धनबाद जिले के भूली क्षेत्र से अमार यासर नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जो कभी इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ा रहा था और फिलहाल ‘हिज्ब उत तहरीर’ नामक प्रतिबंधित संगठन के लिए गुप्त रूप से देशविरोधी गतिविधियों में सक्रिय था.
पहले भी हो चुकी है गिरफ्तारी
राज्य के पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता ने जानकारी दी कि अमार यासर को वर्ष 2014 में राजस्थान के जोधपुर से इंडियन मुजाहिदीन के लिए काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. वर्ष 2024 में जमानत पर रिहा होने के बाद उसने एक बार फिर कट्टरपंथी संगठन ‘हिज्ब उत तहरीर’ से संपर्क साधा. उसके खिलाफ जयपुर और जोधपुर में आतंकी गतिविधियों से संबंधित तीन मामले दर्ज हैं. फिलहाल उससे गहन पूछताछ की जा रही है.
पिछले सप्ताह भी हुई थी बड़ी कार्रवाई
एटीएस ने इससे पहले धनबाद के वासेपुर और आसपास के क्षेत्रों में छापेमारी कर चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया था. इनमें गुलफाम हसन (वासेपुर), आयान जावेद (आज़ाद नगर), उसकी पत्नी शबनम परवीन (शमशेर नगर) और मोहम्मद शहजाद आलम शामिल हैं. इनके पास से दो पिस्टल, 12 जिंदा कारतूस, आतंकी साहित्य, दस्तावेज, कई मोबाइल और लैपटॉप बरामद हुए थे.
देश में खलीफा राज स्थापित करना है मकसद
इन सभी से पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. उन्होंने ‘हिज्ब उत तहरीर’ के लिए अलग-अलग मॉड्यूल बनाकर आतंकी नेटवर्क का विस्तार करने की योजना बना रखी थी. उनके पास से बरामद किताबों में ‘हिज्ब उत तहरीर’ के कट्टरपंथी उद्देश्यों का स्पष्ट उल्लेख मिला है. यह संगठन 1953 में यरुशलम में गठित हुआ था और इसका उद्देश्य वैश्विक इस्लामिक स्टेट यानी खलीफा शासन की स्थापना है. भारत सरकार ने 2010 में इस संगठन को प्रतिबंधित घोषित किया था.
जांच एजेंसियां सतर्क, अन्य संदिग्धों की तलाश जारी
एटीएस इस नेटवर्क से जुड़े अन्य संदिग्धों की तलाश में जुटी हुई है. माना जा रहा है कि झारखंड के कुछ हिस्से आतंकी संगठनों की नए मॉड्यूल तैयार करने की प्रयोगशाला बनते जा रहे हैं. आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे हो सकते हैं.
(IANS)
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