गिरिडीह: गिरिडीह में आयोजित कार्यक्रम के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए वक्फ कानून की सराहना की. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में यह एक साहसिक और दूरदर्शी निर्णय है. यह कानून आदिवासी समाज के अधिकारों, उनकी सांस्कृतिक और भौगोलिक पहचान की रक्षा सुनिश्चित करेगा. मरांडी ने स्पष्ट किया कि यह कानून संवैधानिक प्रक्रिया के तहत बना है और इसके क्रियान्वयन में कोई बाधा नहीं आ सकती.
हफीजुल के ‘शरीयत’ बयान पर तीखा पलटवार
राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन द्वारा दिए गए एक बयान को लेकर राजनीति गर्मा गई है. मंत्री ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, “हम कुरान सीने में रखते हैं और संविधान हाथ में. पहले शरीयत को पकड़ेंगे, फिर संविधान को.” इस टिप्पणी को बाबूलाल मरांडी ने संविधान की अवहेलना बताते हुए गंभीर आपत्ति जताई है.
संविधान से ऊपर शरीयत? मरांडी बोले – मंत्री पद के योग्य नहीं
मरांडी ने कहा कि हफीजुल का बयान यह दर्शाता है कि वे संविधान से ऊपर शरीयत को मानते हैं, जो एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था के लिए चिंता का विषय है. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि ऐसे विचार रखने वाले मंत्री को तत्काल मंत्रिमंडल से हटाया जाए. मरांडी ने कहा, “यदि कोई व्यक्ति संवैधानिक पद पर बैठकर संविधान को न मानने की बात करता है, तो उसका पद पर बने रहना अस्वीकार्य है.”
चरणबद्ध आंदोलन की चेतावनी
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने घोषणा की कि इस मुद्दे को लेकर पार्टी राज्यभर में चरणबद्ध आंदोलन करेगी. उन्होंने कहा कि जनता को यह बताया जाएगा कि झामुमो और कांग्रेस की कथनी और करनी में अंतर है. वे सार्वजनिक रूप से संविधान की बात करते हैं, लेकिन व्यवहार में धार्मिक कानूनों को प्राथमिकता देने वालों को समर्थन देते हैं.
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