उदित वाणी रांची: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड (Jharkhand) में बांग्लादेशी घुसपैठ की जांच से जुड़े मुद्दे में राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया.
बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर झारखंड उच्च न्यायालय में जमशेदपुर निवासी दानियल दानिश ने पीआईएल दायर की थी. याचिका में गोड्डा, जामताड़ा, पाकुड़, दुमका, साहिबगंज और देवघर जिले में बड़े पैमाने पर अवैध प्रवास और घुसपैठ का आरोप लगाया गया था.
इस पर उच्च न्यायालय में हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि संथाल परगना समेत झारखंड के कई इलाकों में आबादी का संतुलन बिगड़ा है. बांग्लादेशी घुसपैठ इसकी वजह हो सकती है. केंद्र ने यह भी बताया था कि कभी आदिवासी बहुल रहे इलाकों में मुस्लिम समुदाय के लोगों को बड़े पैमाने पर गिफ्ट डीड के जरिए जमीन मिल रही है. इस पर हाई कोर्ट ने मामले से जुड़े तथ्यों की पड़ताल की जरूरत बताई थी.
झारखण्ड उच्च न्यायालय ने इस मामले में एक जनहित याचिका पर 20 सितंबर को सुनवाई पूरी करने के बाद घुसपैठ की जांच के लिए केंद्र और राज्य सरकार की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने का आदेश दिया था.
झारखंड सरकार ने उच्च न्यायालय के इसी फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को पक्ष रखने काे कहा है. मामले की सुनवाई तीन दिसंबर तय की है.
झारखंड उच्च न्यायालय ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के लिए राज्य सरकार को दो अधिकारियों का नाम सुझाने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस आदेश पर अगले दो हफ्ते तक रोक लगाने का आदेश दिया है. इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा था कि झारखंड सीमावर्ती राज्य नहीं है. हाईकोर्ट का आदेश राज्य में हो रहे विधानसभा चुनावों में भाषणों का विषय बन गया है.
सिब्बल ने कहा था कि झारखंड में घुसपैठ का केंद्र सरकार का दावा किया आंकड़ों पर आधारित नहीं है. ऐसे में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के गठन का झारखंड उच्च न्यायालय का आदेश अवैध प्रवास के मुद्दे से निपटने की राज्य सरकार की स्वायत्तता और शक्ति में हस्तक्षेप होगा. राज्य सरकार के पास इस समस्या से निपटने के लिए कानून के तहत स्वतंत्र अधिकार हैं.
सिब्बल ने झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया था.
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