उदित वाणी, रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी सह गांडेय की विधायक कल्पना सोरेन के एक सवाल के जबाब में वित्त विभाग के प्रभारी मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने बड़ी जानकारी देते हुए कहा कि भारत सरकार के सॉलिस्टर जनरल ने झारखंड की बकाया 1.36 करोड़ की राशि को लेकर स्वीकार किया है और राशि की भुगतान की प्रक्रिया शीघ्र ही शुरू करने का आश्वासन दिया है. इस मामले में 26 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई निर्धारित है. जिसमें सकारात्मक पहल हो सकती है. उन्होंने कहा कि बकाया राशि को दबाया नहीं जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के पूर्व सारे विभागों की बकाया राशि को लेकर एक रिपोर्ट तैयार किया जायेगा और उसे चलते सत्र के दौरान सदन पटल पर रखा जायेगा तथा उसे अदालत के समक्ष भी प्रस्तुत किया जायेगा. सोनू ने कहा कि बकाया राशि अब 1.36 लाख करोड़ से ज्यादा हो सकती है. जबकि कल्पना सोरेन ने राज्य को पिछले वित्तीय बर्षों के दौरान राज्य को केंद्र से मिले ऋण के बारे में जानकारी मांगी थी. सुदिव्य कुमार ने कहा कि राज्य को केंद्र से 2008-09 से 2013-14 तक 20825 करोड़ रुपये, 2014-15 और 2018-19 के बीच 42956 करोड़ रुपये तथा 2019-20 में 9593 करोड़ रुपये ऋण के रूप में मिले थे.
केन्द्र कर रही है सौतेलेपन, झारखंड के लिए फंड में कटौती का तुलनात्मक आकलन करके एक रिपोर्ट की जायेगी सार्वजनिक
वहीं कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव के सवाल पर सोनू ने कहा कि केंद्र सरकार ने कई प्रायोजित योजनाओं के लिए अपने अनुदान में कटौती की है. जिससे राज्य का विकास प्रभावित हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही केंद्र द्वारा राज्य को दिए जाने वाले अनुदान, ऋण और विभिन्न केंद्र प्रायोजित योजनाओं पर उनके प्रभाव का व्यापक अध्ययन करेगी. सरकार ने अपने लिखित जबाब में कहा कि झारखंड को केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए केंद्र से अनुदान के रूप में 2022-23 में 8828.89 करोड़ रुपये, 2023-24 में 8980.63 करोड़ रुपये और चालू वित्तीय बर्ष 2024-25 में जनवरी तक 5736.27 करोड़ रुपये मिले.
जबकि प्रदीप यादव ने सवाल उठाते हुए कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा पड़ोसी राज्यों उत्तरप्रदेश, ओडिशा व बिहार के मुकाबले काफी कम अनुदान राशि दी गई है. केंद्र के सौतेले व्यवहार का राज्य सरकार को आकलन करना चाहिए. इस पर सुदिव्य सोनू ने कहा सरकार मामले में संज्ञान ले रही है और पड़ोसी के साथ तुलना कर इसका आकलन किया जायेगा. झारखंड के लिए फंड में कटौती का तुलनात्मक आकलन करके एक रिपोर्ट सार्वजनिक की जायेगी.
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