- भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की ‘शोधशुद्धी’ कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी को भी किया शामिल
उदित वाणी, जमशेदपुर: जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में अब वैज्ञानिक पद्धति से साहित्य चोरी की जांच हो सकेगी। कुलपति प्रो.(डॉ) अंजिला गुप्ता ने शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की पहल से शुरू ‘शोधशुद्धी’ कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी को भी जोड़ने निर्णय लिया था। परिणाम स्वरूप साहित्य चोरी की जांच के लिए ‘प्लैगरिज्म डिटेक्शन सॉफ्टवेयर’ (पीडीएस) – ‘ऑरीजीनल’ प्रयोग में लाने के लिए अब यूनिवर्सिटी अधिकृत हो गई है। साहित्य चोरी को रोकने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने भी शोध संबंधी कठोर नियम बनाए हैं। इसके कारण शोध के दौरान ही नहीं वरन वर्षों बाद भी थीसिस, पुस्तक, शोध पत्र या सामान्य आर्टिकल में भी साहित्य चोरी पकड़ी जाती है तो संबंधित शोधार्थी के साथ गाइड और लेखक को सजा भी हो सकती है।
“साहित्य चोरी पकड़े जाने पर अब भारत में भी केस दर्ज होने लगे हैं। वैसे भी पूरे विश्व के शैक्षिक समुदाय के लिए ये सदियों से शोध नैतिकता का उच्च पैमाना रहा है। विमेंस विवि की कुलपति ने कहा कि यूनिवर्सिटी अब शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के पहल से शुरू ‘शोधशुद्धि’ से जुड़कर अपने शोधार्थियों को भी भविष्य के किसी जोखिम से बचाना चाह रही है। पीडीएस की एक्सेस सभी विभागों के हेड को दे दी गयी है, जिससे थीसिस से लेकर आर्टिकल तक सभी में साहित्य चोरी प्राथमिक स्तर पर ही पता लगाकर वो उन्हें दूर कर सकें।
बताते चलें कि साहित्य चोरी को यूजीसी ने अपने अलग-अलग नोटिफिकेशन में बकायदा स्पष्ट किया है। सॉफ्टवेयर न केवल साहित्य चोरी का प्रतिशत बताता है, बल्कि किस स्रोत से लिया गया है, यह भी बताता है। साहित्य चोरी के प्रतिशत के आधार पर यह विभिन्न श्रेणियों में बांटी गई है।
साहित्य चोरी पर दंड का प्रावधान
- – 10% तक साहित्यिक चोरी – कोई दंड नहीं
- साहित्यिक चोरी 10% – 40% तक – थीसिस और शोध प्रबंध के लिए 6 महीने से अधिक समय की अवधि के भीतर शोधार्थी द्वारा एक संशोधित स्क्रिप्ट का पुन: प्रस्तुतीकरण
- साहित्यिक चोरी 40% – 60% तक – थीसिस और शोध प्रबंध के लिए शोधार्थी को एक वर्ष के लिए संशोधित स्क्रिप्ट जमा करने से वंचित कर दिया जाएगा।
- साहित्यिक चोरी 60% या अधिक तक– थीसिस और शोध प्रबंध के लिए शोधार्थी के पंजीकरण को रद्द कर दिया जाएगा। शैक्षणिक और शोध प्रकाशनों के लिए उम्मीदवार को पांडुलिपि वापस लेने के लिए कहा जाएगा और उत्तराधिकार में दो वार्षिक वेतन वृद्धि के अधिकार से वंचित कर दिया जाएगा।
मल्टीडिसिप्लीनरी स्वरूप के साथ रोजगारपरक बने कई विभाग
जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी ने कुलपति प्रोअंजिला गुप्ता के नेतृत्व में कई तरह के रोजगारोनोन्मुखी पाठ्यक्रम विकसित किए हैं। विदित हो कि एक साथ 11 वोकेशनल सर्टिफिकेट कोर्स शुरू होने के साथ ही तीन नये डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स इसी सत्र से शुरू करने का निर्णय हुआ है। इसी क्रम में यूनिवर्सिटी ने सामान्य विभागों के स्वरूप भी बदल दिए हैं। जैसे कि जूलोजी विभाग अब इंटरडिसिप्लीनरी अध्ययन के विभाग में परिणत हो गया है क्योंकि जूलोजी की छात्राएं सामान्य विषयवस्तु के साथ अब रोजगारपरक कोर्स सेरीकल्चर एवं फूड माइक्रोबायोलॉजी का भी अध्ययन करेंगी।
उसी तरह बॉटनी एवं बायोटेक्नोलॉजी की छात्राएं प्लांट टिश्यू कल्चर और फॉरेस्ट्री, बीसीए की छात्राएं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और फोरेंसिक साइंस, कॉमर्स की छात्राएं वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का भी अध्ययन करेंगी।
कुलपति ने कहा कि आज का युग ज्ञान का युग है। सामान्य डिग्री लेकर ज्यादा कुछ हासिल नहीं हो रहा। सार्थकता तभी है जब छात्राएं उसके साथ आज की जरूरतों के मुताबिक ज्ञान भी अर्जित कर लें। इसी के कारण सामान्य डिग्री के अध्ययन के साथ अपडेटेड रोजगारपरक विषयवस्तु जोड़कर ज्यादा उपयोगी बनाया गया है। एनइपी 2020 भी बहुविषयक होने का विजन देता है, जिसके तहत यूनिवर्सिटी ने यह कदम उठाया है स्पष्ट है कि बहुविषयक स्वरूप के कारण सामान्य विषय में भी छात्राओं की रुचि बढ़ेगी बल्कि रोजगार के लिए वो ज्यादा योग्यता हासिल कर पाएंगी।
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