उदित वाणी, रांची: झारखंड में संविधान के ऊपर शरीयत को बताने से संबधित हेमंत सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन की कथित टिप्पणी को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है.
रांची में जोरदार विरोध मार्च
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की झारखंड इकाई ने गुरुवार को राजधानी रांची में जोरदार विरोध मार्च निकाला और राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन के तत्काल इस्तीफे की मांग की.भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में हुए इस विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हुए. पार्टी ने आरोप लगाया कि मंत्री हफीजुल हसन ने 14 अप्रैल को एक कार्यक्रम के दौरान “संविधान से ऊपर शरीयत” कहकर संविधान की गरिमा को ठेस पहुंचाई है, जो न केवल आपत्तिजनक बल्कि असंवैधानिक भी है.
हसन ने दी सफाई
विवाद बढ़ने पर मंत्री हफीजुल हसन ने सफाई दी और कहा कि मीडिया ने उनके बयान को संदर्भ से हटाकर गलत तरीके से प्रस्तुत किया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके लिए शरीयत और भारतीय संविधान दोनों ही समान रूप से महत्त्वपूर्ण हैं.
हेमंत से हस्तक्षेप की मांग
भाजपा ने इस बयान को गंभीर बताते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी हस्तक्षेप की मांग की है.
पार्टी नेताओं का कहना है कि संवैधानिक पद पर रहते हुए किसी मंत्री द्वारा ऐसी टिप्पणी स्वीकार्य नहीं है और यदि कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन और तेज किया जाएगा.
झामुमो का भाजपा पर पलटवार
वहीं, झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) सहित सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह बयान को राजनीतिक रंग देकर मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है. दूसरी और राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस पूरे विवाद ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया है और आने वाले दिनों में इसे लेकर राजनीतिक तापमान और चढ़ सकता है.
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