उदित वाणी, जमशेदपुर: जीएसटी लागू हुए करीब 5 साल हो गए हैं. देश भर के व्यापारियों ने इस टैक्स का स्वागत इस बात को ध्यान में रखकर किया था कि यह एक अच्छा और सरल टैक्स होगा. जीएसटी निश्चित रूप से एक अच्छा और सरल कर है, लेकिन धीरे-धीरे यह व्यापारियों के लिए एक दुःस्वप्न सा बन गया है, क्योंकि पोर्टल की अक्षमता, जीएसटी पोर्टल में बार-बार बदलाव और जीएसटी नियमों ने जीएसटी को काफी जटिल बना दिया है. यह कहना है कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ अॉल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का. कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से स्टेक होल्डर्स के परामर्श से जीएसटी कराधान प्रणाली की कुल समीक्षा करने और इसे एक ऐसा कानून बनाने का आग्रह किया है, जो जीएसटी कानून और नियमों का पालन करके व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा दे सके.
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने कहा कि जीएसटी पोर्टल की आवश्यकता के अनुसार अधिनियम में संशोधन किए गए, जबकि पोर्टल को अधिनियम के अनुसार बनाया जाना चाहिए था. इससे व्यापारियों को काफी परेशानी हो रही है और अब भी कोई राहत नहीं मिली है. सुरेश सोंथालिया ने कहा कि एशियाई देशों में, भारत में जीएसटी दर के उच्चतम मानक हैं. दुनियाभर में यह चिली के बाद दूसरे स्थान पर है. शून्य-रेटेड उत्पादों के साथ गैर-शून्य रेटेड उत्पाद (3, 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत) एक राष्ट्र एक कर के सपने के बिल्कुल विपरीत हैं. पेट्रोलियम उत्पाद, बिजली और रियल एस्टेट अभी भी जीएसटी के दायरे से बाहर हैं जो जीएसटी में काफी हद तक विसंगतियां और असमानताएं लाता है और जीएसटी के मूल उद्देश्य के विपरीत है.
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