उदित वाणी, जमशेदपुर: शहर के उद्योगपति और समाजसेवी अशोक भालोटिया के निधन पर किस कदर मारवाड़ी समाज दुखी है, उसका अंदाजा अरूण बाकरेवाल जी की इस पीड़ा से समझा जा सकता है कि भगवान तुने मेरे जिगरी दोस्त को तो बुला लिया, मगर कोई ऐसा मोबाइल हमें दे दो कि हम स्वर्ग में भी अपने दोस्त से बात कर सके. बकौल बाकरेवाल, अशोक भालोटिया मेरे जिगरी दोस्त थे. कभी भी टेंशन में होते तो रात 11 बजे मुझे फोन कर लेते और कहते-अरूण जी, आपसे बात कर मेरा टेंशन खत्म हो जाता है. मुझे तो अभी भी विश्वास नहीं होता कि वो हमारे बीच नहीं है. सुख-दुख के साथ थे. एकदम घर की तरह. मेरे सबसे प्रिय थे.
मेरा दाहिना हाथ चला गया-निर्मल काबरा
निर्मल काबरा ने कहा कि अशोक भालोटिया, मारवाड़ी समाज की रीढ़ की हड्डी थे. यह किसी की निजी क्षति से ज्यादा समाज की क्षति है. इस नुकसान की भरपाई कर पाना संभव नहीं है. उन्होंने हमेशा मुझे अपना बड़ा भाई माना. कहते थे-आपको मुझसे पूछने की जरूरत नहीं है. आपका आदेश ही काफी है. मेरा दाहिना हाथ चला गया. ईश्वर हमे, परिवार और पूरे समाज को दुख सहने की शक्ति प्रदान करें.
लंगोटिया यार थे-दिलीप गोयल
दिलीप गोयल ने कहा कि अशोक भालोटिया, मेरे लंगोटिया यार थे. 50 साल का साथ रहा. एक साथ बड़े हुए और स्कूटर पर खेले. यही नहीं एक साथ चीन गए थे. विश्वास नहीं होता कि वह हमारे बीच नहीं है. उन्होंने समाज के लिए काम किया. कई संस्थाओं से जुड़े थे. बेहद नेक इंसान थे.
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