उदित वाणी, रांची : रिम्स निदेशक डा राजकुमार को हटाने के मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बड़ा झटका दिया. जस्टिस दीपक रौशन की अदालत ने मामले में डा राजकुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य मंत्री डा इरफान अंसारी द्वारा उन्हें 17 अप्रैल को रिम्स के निदेशक पद से हटाये जाने के दिये गये आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. साथ ही अदालत ने मामले में राज्य सरकार एवं अन्य को नोटिस जारी करने व शपथ पत्र के माध्यम से जबाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. इस मामले की विस्तृत सुनवाई 6 मई को होगी.
वहीं अदालत ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री का यह आदेश स्टिगमैटिक य कलंक लगाकर हटानाद्ध है. जो कानून के विरुद्ध है. रिम्स निदेशक के पद से डा राजकुमार को हटाने के पहले पूरी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए था. उन्हें एक मौका मिलना चाहिए था. जबकि जनहित की बात कहते हुए उन्हें हटाया गया. वहीं रिम्स के पूर्व निदेशक ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकार के आदेश को नेचुरल जस्टिस और रिम्स नियमावली-2002 का सीधा उल्लंघन बताया है. उन्होंने कहा कि रिम्स निदेशक पद पर उनकी नियुक्ति 3 बर्षों के लिए की गयी थी. परंतु उन पर झूठे आरोप लगाकर और बिना उनका पक्ष सुने उन्हें निदेशक के पद से हटाने का आदेश जारी कर दिया गया. यह गलत है.
अदालत का आदेश सरकार के मुंह पर तमाचा, हटाने के मामले की सीबीआई जांच हो-बाबूलाल मरांडी
नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने रिम्स के निवर्तमान निदेशक डा राजकुमार के मामले में हाईकोर्ट के आदेश के बाद कहा कि शासी परिषद की बैठक में स्वास्थ्य मंत्री और विभागीय अधिकारियों के दबाव में करोड़ों रुपये के अवैध भुगतान से इनकार करने पर रिम्स निदेशक डा राजकुमार को हटाया गया था. हेमंत सरकार के फैसले पर उच्च न्यायालय ने रोक लगाकर सरकार के मुंह पर करारा तमाचा मारा है. उच्च न्यायालय के इस फैसले से हेमंत सरकार द्वारा रिम्स जैसे प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्था को अपने लूट का चारागाह बनाने की साजिश भी बेनकाब हुई है. उन्होंने रिम्स निदेशक को हटाने के मामले की जांच सीबीआई से कराने और घोटाले के लिये अधिकारियों पर ग़लत काम कराने का दबाव डालने वाले मंत्री को कान पकड़ कर मंत्रिमंडल से बाहर करने की मांग की है.
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