उदित वाणी, जमशेदपुर: छठ महापर्व भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है, जिसे वर्ष में दो बार मनाया जाता है – एक बार चैत्र माह में और दूसरी बार कार्तिक माह में. यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है, हालांकि भारत के अन्य हिस्सों में भी इसे बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है. इस पर्व में भगवान सूर्य की पूजा की जाती है, जिसे महापर्व का दर्जा प्राप्त है. इस दिन विशेष रूप से शुद्धता, संयम और पूजा विधियों का पालन किया जाता है.
चैती छठ क्यों मनाते हैं?
चैती छठ विशेष रूप से भगवान सूर्य और माता षष्ठी की पूजा से संबंधित है. इस दिन सूर्य की कृपा प्राप्त करने के लिए लोग कठोर उपवास रखते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करने से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
छठ पूजा की सबसे खास बात यह है कि इसमें व्रतधारी 36 घंटे तक बिना अन्न-जल के उपवास रखते हैं. यह कठिन व्रत पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाता है. खासकर निःसंतान दंपति इस पर्व को श्रद्धा के साथ करते हैं और भगवान सूर्य और माता षष्ठी की पूजा करके शीघ्र संतान सुख की प्राप्ति करते हैं.
चैती छठ 2025 की तिथियां और शुभ मुहूर्त
चैती छठ महापर्व की मुख्य तिथियां और मुहूर्त 2025 में इस प्रकार होंगे:
1 अप्रैल 2025 – नहाय-खाय: इस दिन व्रतधारी शुद्ध भोजन ग्रहण करते हुए व्रत की शुरुआत करते हैं.
2 अप्रैल 2025 – खरना: शाम को विशेष प्रसाद, जिसमें गुड़ और चावल की खीर का विशेष महत्व होता है, ग्रहण किया जाता है.
3 अप्रैल 2025 – संध्या अर्घ्य: इस दिन व्रतधारी डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. यह पूजा विशेष रूप से सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है.
4 अप्रैल 2025 – उषा अर्घ्य: इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही व्रत का समापन होता है. यह व्रतधारी के जीवन में सकारात्मक बदलाव और सुख-समृद्धि लेकर आता है.
छठ महापर्व का विशेष महत्व
छठ महापर्व में व्रतधारी 36 घंटे तक बिना अन्न-जल के उपवास रखते हैं. यह उपवास शारीरिक और मानसिक शुद्धता प्राप्त करने के लिए होता है. भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने से बड़े से बड़े रोग, दोष और कष्ट दूर हो जाते हैं. इस पूजा को विशेष रूप से स्वास्थ्य में सुधार और मानसिक शांति के लिए लाभकारी माना जाता है.
छठ पूजा का उद्देश्य भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त करना है, जिससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. विशेष रूप से यदि कोई निःसंतान दंपति इस पूजा को श्रद्धा से करता है, तो उसे शीघ्र संतान सुख की प्राप्ति होती है. छठ महापर्व के दौरान की गई पूजा और तप से व्यक्ति को न केवल सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, बल्कि आत्मिक शांति भी मिलती है. यह दिन परिवार के लिए भी बहुत शुभ होता है, क्योंकि इसमें सभी पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है.
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