उदित वाणी, जमशेदपुर : नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) जमशेदपुर के एल्युमनी मीट में शिरकत करने शहर पहुंचे पूर्ववर्ती विद्यार्थियों ने रविवार को उन जगहों की सैर की, जहां वे पढ़ाई के दौरान जाते थे और मस्ती करते थे.
बिष्टुपुर के ठिकानों के साथ ही साकची के बसंत टाकीज, जुबिली पार्क और भुवनेश्वरी मंदिर की सैर की. उन्होंने अपनी यादों और अनुभवों को शेयर किया और कहा कि वे आज जो कुछ भी हैं, आरआईटी (रीजनल इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) में चार साल की पढ़ाई की बदौलत है.
एनआईटी ने जिंदगी बदल दी-छत्रसाल
92 बैच के छात्र रहे छत्रसाल अमेरिका से इस मीट में शिरकत करने जमशेदपुर पहुंचे थे. बकौल छत्रसाल, इस संस्थान में गुजारे चार साल ने जिंदगी बदल दी. आरआईटी से पढ़ाई करने के बाद पांच साल जमशेदपुर में ही टीआरएफ कंपनी में रहा. इसके बाद 2000 में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करने अमेरिका चला गया.
मूल रूप से बिहार के रहने वाले छत्रसाल कहते हैं कि एनआईटी का चेहरा बदल गया है. आधारभूत संरचनाएं बेहतर हुई है. सबसे अच्छी बात यह रही कि 27 साल बाद अपने क्लासमेट से मिला. यही नहीं रविवार को हम टीआरएफ कॉलोनी स्थित अपने उस फ्लैट में भी गये, जहां 27 साल पहले रहते थे. पुरानी यादों को जीना और महसूस करना काफी अच्छा अनुभन रहा. भुवनेश्वरी मंदिर में भी जाकर पूजा-अर्चना की, जहां पहले हम शाम को सुकून और शांति के लिए जाया करते थे.
बेहद रोमांचक रहा अपने संस्थान में आना-धर्मेन्द्र
एनआईटी जमशेदपुर के 92 बैच के छात्र धर्मेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि 27 साल बाद संस्थान में आए हैं. ऐसे लगा कि हम अपने पुराने जमाने में पहुंच गये हैं. जिंदगी की भागमभाग के बीच अपने अल्मामाटेर आरआईटी (अब एनआईटी) की यादों में भ्रमण करना, काफी रोमांचक रहा. यह देख कर अच्छा लगा कि संस्थान की ढ़ाचागत संरचना में काफी बदलाव आया है.
पहले से काफी बेहतर हुआ है. हॉस्टल से लेकर मेस तक में सुधार हुआ है. रोचक बात यह है कि ब्वॉयज हॉस्टल, अब गर्ल्स हॉस्टल बन गया है. यही नहीं लड़कों के मुकाबले लड़कियों के अनुपात में भी काफी बढ़ोतरी हुई है. अपने पुराने क्लास रूम और हॉस्टल को देखना काफी अच्छा लगा. साथ ही अपने बैचमेट से मिलना और अपनी पुरानी यादों की सैर करना अच्छा लगा. धर्मेन्द्र सिंह फिलहाल इंडियन ऑयल में डीजीएम हैं और पटना में पदस्थापित है. धर्मेन्द्र भी रविवार को शहर के उन जगहों की सैर किए, जहां वे पढ़ाई करने के दौरान जाया करते थे.
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