उदित वाणी, जमशेदपुर: गूगल ने अर्थ डे 2025 के अवसर पर एक विशेष डूडल जारी कर धरती के प्रति संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का संदेश दिया है. इस साल का डूडल जलवायु परिवर्तन के गंभीर संकट पर केंद्रित है और यह हमें याद दिलाता है कि पृथ्वी अब भी बचाई जा सकती है—अगर हम अभी कदम उठाएं.
बढ़ता तापमान, बिगड़ता मौसम
पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है. इसका सीधा असर मौसम की चरम घटनाओं पर पड़ा है. बेमौसम तूफान, बार-बार आने वाली बाढ़ और सूखे की स्थितियाँ अब आम हो चुकी हैं. ये प्राकृतिक आपदाएं न केवल मानव जीवन को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को भी गहरे संकट में डाल रही हैं.
हम क्या कर सकते हैं?
हालांकि हालात गंभीर हैं, फिर भी समाधान संभव हैं. हर व्यक्ति के छोटे-छोटे प्रयास भी बड़ा बदलाव ला सकते हैं:
निजी वाहन की बजाय साइकिल या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें.
घर और कार्यालय में सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय विकल्पों को अपनाएं.
पेड़ लगाने वाली संस्थाओं को सहयोग दें या स्वयं वृक्षारोपण करें.
जलवायु परिवर्तन से जुड़ी पुस्तकें पढ़ें, लेखों के माध्यम से जागरूकता बढ़ाएं.
अपने जनप्रतिनिधियों से सख्त पर्यावरण नीति की मांग करें ताकि ग्रीनहाउस गैसों पर नियंत्रण पाया जा सके.
डूडल में छिपा प्रकृति का संदेश
गूगल के डूडल में दर्शाए गए अक्षरों में पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों की सुंदरता और विविधता को दिखाया गया है:
G – मालदीव: प्रवाल द्वीपों और रंगीन लैगून से भरा उष्णकटिबंधीय स्वर्ग.
O – फ्रेंच आल्प्स: बर्फीले पर्वत और वन्यजीवों का निवास स्थान.
O – कोट-नॉर्ड, क्यूबेक: बोरेल जंगल और कठोर चट्टानी संरचनाएं.
G – मेंडोजा, अर्जेंटीना: एंडीज से निकलने वाली नदियों के किनारे बसा जीवनदायिनी प्रदेश.
L – दक्षिण-पूर्वी यूटा, अमेरिका: टेक्टोनिक क्रियाओं से बनी घाटियां और पठारी क्षेत्र.
E – पश्चिमी न्यू साउथ वेल्स, ऑस्ट्रेलिया: शुष्क लेकिन जैव विविधता से समृद्ध क्षेत्र.
सोचिए, सवाल उठाइए, कुछ कीजिए
क्या हम अपने जीवनशैली के बदलाव से धरती को बचा सकते हैं?
क्या तकनीक और प्रकृति का संतुलन संभव है?
क्या आज का डूडल सिर्फ कलाकृति है या आने वाले कल की चेतावनी?
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