नई दिल्ली: भारतीय सेना ने नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार करते हुए न्यूनतम चीरफाड़ वाली ग्लूकोमा शल्य चिकित्सा में 3D माइक्रोस्कोप तकनीक का सफल उपयोग किया है. यह उपलब्धि आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल), नई दिल्ली के नेत्र विज्ञान विभाग द्वारा हासिल की गई, जो सशस्त्र बलों के चिकित्सा क्षेत्र में एक अनूठा कदम है.
3D तकनीक से सर्जरी में मिली नई सटीकता
सेना के प्रमुख अस्पताल में पहली बार उन्नत त्रि-आयामी दृश्य प्रणाली का उपयोग किया गया है. इस तकनीक में विशेष 3D ध्रुवीकरण चश्मे और 55 इंच के फोर-के अल्ट्रा एचडी डिस्प्ले का सहारा लिया गया. इससे न केवल सर्जरी के समय में कमी आई है, बल्कि जटिलताओं की दर में भी उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है. साथ ही एंडोइल्यूमिनेटर की कम शक्ति का उपयोग कर फोटो-विषाक्तता के जोखिम को भी घटाया गया है.
नेत्र विकारों के उपचार में व्यापक उपयोग
3D माइक्रोस्कोप तकनीक का उपयोग ग्लूकोमा के अलावा भेंगापन, मोतियाबिंद, कॉर्निया तथा रेटिना संबंधी जटिल शल्य चिकित्साओं में भी किया जा रहा है. असामान्य और जटिल परिस्थितियों में भी सर्जन और नर्सिंग स्टाफ को सर्जरी के दौरान अधिक स्पष्टता और संतुष्टि प्राप्त हो रही है.
सेना की उच्च स्तरीय चिकित्सा सेवाओं के प्रति प्रतिबद्धता
यह पहल भारतीय सेना की उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधाओं को सशस्त्र बलों के सदस्यों और उनके परिजनों तक पहुँचाने की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है. इस अत्याधुनिक सुविधा के जरिए नेत्र देखभाल सेवाओं को और अधिक प्रभावी और व्यापक बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है.
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