उदित वाणी, कांड्रा: झारखंड के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विकास मंत्री रामदास सोरेन ने आज सोलगाड़िया में आदिम सेवा क्लब द्वारा आयोजित 54वें वार्षिक उत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासी समाज को अपनी भाषा और संस्कृति को बचाए रखने के लिए शिक्षा और ज्ञान का होना अत्यंत आवश्यक है. उन्होंने यह भी बताया कि समाज में शिक्षा से ही भाषा, संस्कृति और सामाजिक व्यवस्था की सुरक्षा की जा सकती है.
शिक्षा और समाज की संरचना पर जोर
मंत्री रामदास सोरेन ने आदिवासी समाज की सामाजिक व्यवस्था की तारीफ करते हुए कहा कि जन्म से लेकर मृत्यु तक आदिवासी समाज में एक सुसंगठित व्यवस्था होती है, जिसे केवल शिक्षा के माध्यम से बचाया जा सकता है. उन्होंने झारखंड को खनिज संपदा से परिपूर्ण राज्य बताया और यह भी कहा कि यहां के आदिवासी समुदाय का खनिज संसाधनों पर प्राथमिक हक है.
सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए एकजुटता की अपील
मंत्री ने आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान पर जोर दिया और कहा कि आदिवासी महिलाओं और पुरुषों द्वारा सामूहिक रूप से किया जाने वाला नृत्य हमारी सामाजिक एकता का प्रतीक है. उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि आदिवासी समाज को अपनी भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए एकजुट होकर कार्य करना होगा.
शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता
मंत्री ने झारखंड की शिक्षा व्यवस्था पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले 12 वर्षों से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रयासों का उल्लेख किया, जो राज्य में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं.
पेसा कानून पर सरकार की गंभीरता
पेसा कानून के बारे में मंत्री ने बताया कि सरकार इस मामले में गंभीर है और ड्राफ्ट तैयार हो चुका है. उन्होंने आदिवासी समाज के लोगों से अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने की अपील की.
कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रदर्शन और सम्मान
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में कृष्णा बास्के, रामजीत हांसदा, विशु हेंब्रम, सुनाराम मुर्मू, सावना सोरेन और कांग्रेस नेता पप्पू राय भी उपस्थित थे. कार्यक्रम के दौरान संथाली समाज की महिलाओं ने नाहा गाड़ी नृत्य का प्रदर्शन किया, जो दर्शकों द्वारा काफी सराहा गया.
वीर डिबा किशुन की प्रतिमा पर माल्यार्पण
कार्यक्रम के समापन के बाद, मंत्री रामदास सोरेन ने गोविंदपुर में वीर डिबा किशुन की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. इस अवसर पर कई प्रमुख नेता और स्थानीय लोग उपस्थित थे, जिनमें कृष्णा बास्के, रामजीत हांसदा, सुनाराम मुर्मू, विशु हेंब्रम सहित कई अन्य लोग शामिल थे.
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।