नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान के बीच हाल के दिनों में उत्पन्न हुए तनाव के बीच सोशल मीडिया पर फेक न्यूज की भरमार देखी जा रही है. इन भ्रामक खबरों से न केवल जनता की सोच प्रभावित हो रही है, बल्कि देश के भीतर भय और भ्रम का माहौल भी उत्पन्न हो रहा है. सरकारी एजेंसी पीआईबी फैक्ट चेक लगातार ऐसे झूठे दावों की पहचान कर उन्हें खारिज कर रही है और लोगों से अपील कर रही है कि वे केवल आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करें.
सैनिकों के ‘रोने’ का सच
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें दावा किया गया कि भारत-पाक तनाव के कारण भारतीय सैनिक रो रहे हैं और अपने पद छोड़ रहे हैं. पीआईबी ने इस दावे को पूरी तरह फर्जी करार दिया है. दरअसल, यह वीडियो मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित एक निजी रक्षा कोचिंग संस्थान के छात्रों का है, जो सेना में चयनित होने पर भावुक हो उठे थे.
पुराना वीडियो, नया झूठ
एक अन्य वीडियो के जरिए दावा किया गया कि भारतीय पोस्ट को तबाह कर दिया गया है. पीआईबी ने बताया कि यह वीडियो नया नहीं, बल्कि 15 नवंबर 2020 को यूट्यूब पर अपलोड किया गया पुराना वीडियो है. इसे वर्तमान घटनाक्रम से जोड़कर झूठा प्रचार किया जा रहा है.
एयरपोर्ट धमाकों की झूठी कहानियाँ
कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में श्रीनगर और जयपुर एयरपोर्ट के आसपास धमाकों का दावा किया गया. श्रीनगर मामले में अल जजीरा की रिपोर्ट का हवाला दिया गया था, जबकि जयपुर को लेकर डीसी ने स्पष्ट किया कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई. पीआईबी ने इन दावों को असत्य बताया और कहा कि लोग ऐसे भ्रम फैलाने वाली बातों से दूर रहें.
गुरुद्वारे पर ‘ड्रोन हमले’ का झूठ
एक वीडियो में यह झूठ फैलाया गया कि भारत ने पाकिस्तान स्थित ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर ड्रोन हमला किया है. पीआईबी ने इसे सांप्रदायिक तनाव फैलाने की साजिश करार दिया और कहा कि ऐसे दावे समाज में वैमनस्य उत्पन्न करने के उद्देश्य से फैलाए जाते हैं.
’70 प्रतिशत इलेक्ट्रिक ग्रिड ठप’ – यह भी अफवाह
पाकिस्तान द्वारा भारत पर हमले के बाद 70% इलेक्ट्रिक ग्रिड ठप हो जाने का दावा भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. पीआईबी ने यह जानकारी दी कि यह दावा पूर्णतः असत्य है और तकनीकी तौर पर भी आधारहीन है.
संयम और सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार
पीआईबी फैक्ट चेक ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी भ्रामक सूचना को जांचे बिना साझा न करें. विशेषकर इस संवेदनशील समय में संयम और सतर्कता ही समाज को सुरक्षित और सशक्त बनाए रख सकते हैं.
फेक न्यूज की यह सुनामी केवल सामाजिक सौहार्द ही नहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा को भी प्रभावित कर सकती है. इस दौर में सच और झूठ में फर्क करना हर नागरिक की जिम्मेदारी बन जाती है. पीआईबी फैक्ट चेक जैसे संस्थान का प्रयास इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
(IANS)
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