रांची: झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य की हेमंत सरकार पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि सरकार ने लोकायुक्त, सूचना आयोग, महिला आयोग और उपभोक्ता फोरम जैसी संवैधानिक संस्थाओं को साजिशपूर्वक निष्क्रिय बना दिया है.
लोकायुक्त वर्षों से खाली, शिकायतें अनसुनी
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मरांडी ने कहा कि यदि आम नागरिक को किसी सरकारी भ्रष्टाचार की शिकायत करनी हो तो वह कहां जाए. लोकायुक्त का पद पिछले पांच वर्षों से जानबूझकर रिक्त रखा गया है. इसका उद्देश्य जनता की आवाज को दबाना और जवाबदेही से बचना है.
सूचना आयोग पूरी तरह निष्क्रिय
मरांडी ने बताया कि सूचना आयोग में वर्ष 2023 से एक भी आयुक्त नियुक्त नहीं है. मुख्य सूचना आयुक्त का पद भी लंबे समय से खाली है. आरटीआई से जुड़े हजारों मामले लंबित पड़े हैं. सरकार की मंशा आरटीआई जैसी पारदर्शिता लाने वाली व्यवस्था को निष्प्रभावी करना है.
महिला आयोग और उपभोक्ता फोरम भी संकट में
महिला आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों के पद रिक्त हैं. इससे महिलाओं से जुड़े लगभग पांच हजार मामले लंबित हैं. आयोग के कर्मचारियों को महीनों से वेतन नहीं मिला है. कई जिलों में उपभोक्ता फोरम में अध्यक्ष या सदस्य ही नहीं हैं.
डीजीपी पर विवाद: सेवानिवृत्त आईपीएस की नियुक्ति पर उठे सवाल
मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार ने एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी को डीजीपी के पद पर अवैध रूप से बनाए रखा है. केंद्र सरकार से उन्हें सेवा विस्तार नहीं मिला, फिर भी राज्य सरकार ने उन्हें पद पर इसलिए बनाए रखा ताकि उनका उपयोग राजनीतिक हित में किया जा सके. उन्होंने कहा कि पूरे देश में ऐसा उदाहरण और कहीं नहीं है.
पारदर्शिता से बचने की है रणनीति
मरांडी ने आरोप लगाया कि सरकार ने पहले नेता प्रतिपक्ष की मान्यता लटकाकर इन संवैधानिक नियुक्तियों को टालने का बहाना बनाया और अब जब नेता प्रतिपक्ष की मान्यता मिल चुकी है, फिर भी नियुक्तियों पर चुप्पी साध रखी है. यह सब एक सुनियोजित रणनीति के तहत हो रहा है.
(IANS)
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