उदित वाणी, रांची: जमशेदपुर में बसे 86 बस्तियों को मालिकाना हक देने की मांग फिर झारखंड विधानसभा में उठी. मामले में सदन में जोरदार बहस हुई. जमशेदपुर पूर्वी की विधायक पूर्णिमा साहू ने ध्यानाकर्षण सूचना के जरिये इस बिषय को उठाया. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इन बस्तियों पर बसे लोगों को कानून बनाकर 10-10 डिसमिल जमीन का मालिकाना हक दिलाते हुए जमीन उपलब्ध करायें. वहीं मामले में सरकार की ओर से उत्तर देते हुए राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दीपक बिरूआ ने कहा कि अनाधिकृत रूप से 86 बस्तियां बसाई गई है. उन्हें अतिक्रमणकारी माना जा सकता है. लेकिन उन्हें मालिकाना हक नहीं मिल सकता है. यद्यपि राज्य सरकार द्वारा उन बस्तीवासियों के लिए जिला उपायुक्त के माध्यम से 10-10 डिसमिल भूमि बंदोबस्ती की सुविधा दी गई है.
परंतु बस्तीवासी इस सरकारी व्यवस्था का उल्लंघन कर रहे हैं. पूर्वी सिंहभूम जिला उपायुक्त से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 86 बस्तियों के सिर्फ 1898 लोगों ने भूमि बंदोबस्ती के लिए आवेदन दिया. जिसमें से भी मात्र तीन लोगों ने ही बंदोबस्ती करायी है. बस्तीवासी सरकारी व्यवस्था का अनुपालन नहीं करके व्यवस्था का उल्लंघंन कर रहे हैं. इसपर विधायक पूर्णिमा ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान झामुमो और कांग्रेस द्वारा वादा किया गया था कि उनकी सरकार बनने के बाद बस्तीवासियों को मालिकाना हक दिलायी जायेगी. पूर्णिमा ने कहा कि खासतौर पर विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन ने वादा किया था कि उन्हें मालिकाना हक दिलायी जायेगी. पूर्णिमा कल्पना सोरेन द्वारा दिये गये वक्तव्य की पेपरकटिंग भी दिखायी और कहा कि विभागीय मंत्री कल्पना सोरेन के वादे को गलत साबित कर रहे हैं. जबकि पक्ष-विपक्ष दोनों चाहते हैं कि 86 बस्ती के लोगों को मालिकाना हक मिले. वहां करीब तीन लाख गरीब आदिवासी, दलित, पिछड़े परिवार के लोग रहते हैं.
सरकार मामले में संवेदनशीलता दिखाये और कानून बनाकर उन्हें मालिकाना हक दिलाये. इस बीच शिक्षामंत्री रामदास सोरेन कहा कि मैं उसी इलाके से आता हूं. उन्होंने कहा कि 86 बस्तियों के बीच रघुवर नगर भी बसा है और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने विधायक फंड की काफी राशि उस रघुवर नगर में खर्च की है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या रघुवर दास ने वहां विधायक फंड की राशि खर्च करने के लिए सरकार से अनुमति ली थी. उन्होंने वैध तरीके से या अवैध तरीके से राशि खर्च की है. इसपर पूर्णिमा साहू ने कहा कि आपकी सरकार है, उसकी जांच करा ले. लेकिन मेरा मूल बिषय बस्तिवासियों को मालिकाना हक दिलाने को लेकर है.
सरकार का लिखित वक्तव्य
टाटा स्टील लि एवं सरकार के बीच सम्पन्न लीज नवीकरण संबंधी राज्यादेश सं 2776/रा, दिनांक 19.08.2005 के कंडिका-4 में उल्लेख किया गया है कि शिड्यूल-5 में अवस्थित 86 बस्तियों को लीज भूमि से अलग किया जायेगा. तदनुसार जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र के वार्ड संख्या-1,2,3,7,11,12,13,14,15,16,17,18 एवं 19 कुल 13 वार्डों की अतिक्रमित भूमि तथाकथित 86 बस्ती से संबंधित कुल-14167 प्लॉटों में निहित कुल रकबा लगभग 723 हेक्टेयर [लगभग 1800 एकड़] की भूमि टिस्को लीज से अलग कर सरकार के खाते में निहित की गई. सर्वेक्षण के पश्चात् पाया गया कि अतिक्रमित भूमि पर मकानों की कुल संख्या 17986 है. जिसका कुल रकबा लगभग 449 हेक्टेयर [लगभग 1100 एकड़] है.
विभागीय संकल्प सख्या 817/रा, दिनांक 22.02.2018 द्वारा गैर ग्रामीण क्षेत्रों में अवस्थित सरकारी/खासमहाल भूमि पर दिनांक 01.01.1985 अथवा उससे पूर्व से आवासीत परिवारों के साथ अधिकतम 10 डिसमील तक आवासीय उद्देश्य हेतु भूमि की लीज बंदोबस्ती करने के लिए नीति निर्धारित है. यह संकल्प तथाकथित 86 बस्तियों के लिए भी प्रभावी है. विभागीय संकल्प संख्या 4064/रा, दिनांक 25.10.2019 द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में अवस्थित सरकारी/ खासमहाल भूमि पर दिनांक 01.01.1985 अथवा उससे पूर्व से आवासीत परिवारों के साथ लीज बंदोबस्ती करने की शक्ति उपायुक्त को प्रत्यायोजित है. वर्णित संकल्प के आलोक में इच्छुक एवं सुयोग्य व्यक्तियों को लीज बंदोबस्ती की जाती है.
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