नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव और सीजफायर के ऐलान के बाद हालात कुछ शांत हुए हैं. इसी बीच चीन और पाकिस्तान द्वारा भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम को कमजोर साबित करने की कोशिश भी पूरी तरह बेनकाब हो गई है. जिस चीनी एयर डिफेंस सिस्टम एचक्यू-9 पर खुद चीन भरोसा नहीं करता, वही सिस्टम पाकिस्तान ने अपने बचाव के लिए तैनात कर रखा था. लेकिन भारत ने लाहौर में तैनात उसी एचक्यू-9 सिस्टम को सफलतापूर्वक ध्वस्त कर, पाकिस्तान और चीन दोनों को तकनीकी मोर्चे पर करारा जवाब दिया है.
जिसने बनाया, उसने नहीं अपनाया
चीन ने रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदा है. इसका सीधा अर्थ यह है कि चीन अपने बनाए सिस्टम पर खुद भरोसा नहीं करता. एचक्यू-9 को चीन ने रूस के एस-400 और अमेरिका के पैट्रियट सिस्टम की तकनीक को चुराकर बनाया. लेकिन चीन खुद एस-400 से अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है. बावजूद इसके, पाकिस्तान ने इस चीनी सिस्टम को करोड़ों डॉलर में खरीदकर लाहौर में तैनात किया था.
एस-400 बना भारत की हवा में अडिग दीवार
भारत ने रूस से 5.4 अरब डॉलर में एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदा. यह सिस्टम 600 किलोमीटर तक रडार की पकड़ रखता है और बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल, लड़ाकू विमान और ड्रोन तक को निशाना बना सकता है. इसमें चार अलग-अलग रेंज की मिसाइलें तैनात होती हैं, जो विभिन्न ऊंचाइयों पर उड़ रहे लक्ष्यों को एकसाथ नष्ट कर सकती हैं. हालिया संघर्ष में भारत ने एस-400 की मदद से न केवल पाकिस्तानी हमलों का जवाब दिया, बल्कि उनके चीनी सिस्टम को भी ध्वस्त कर दिया. इससे स्पष्ट होता है कि भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम आधुनिक, कुशल और आत्मनिर्भर रक्षा नीति का मजबूत उदाहरण है.
F-16 भी हुआ भारत के साहस का शिकार
यह पहली बार नहीं है जब भारत ने दुश्मन के उन्नत हथियारों को ध्वस्त किया हो. भारत ने अमेरिकी एफ-16 फाइटर जेट को भी दो बार मार गिराया. उल्लेखनीय है कि यह चौथी पीढ़ी का अत्याधुनिक लड़ाकू विमान था, जिसे भारत ने तीसरी पीढ़ी के मिग-21 से हवा में मात दी. यह न केवल भारत के तकनीकी कौशल, बल्कि आत्मविश्वास और रणनीतिक क्षमता का प्रतीक है.
रणनीति बनाम हथियार: असली ताकत कहाँ है?
वास्तविक युद्ध केवल आधुनिक हथियारों से नहीं, बल्कि दृढ़ इच्छाशक्ति, व्यूह रचना और रणनीतिक कौशल से जीता जाता है. पाकिस्तान ने एचक्यू-9 को हवा में हमले रोकने वाला बताया था, लेकिन वह भारतीय मिसाइलों और ड्रोन को ट्रैक तक नहीं कर पाया. यही नहीं, भारत ने पाकिस्तान के कई सैन्य अड्डों को लक्ष्य बनाकर नुकसान पहुंचाया.
विश्वास पर खरा नहीं उतरा चीनी सिस्टम
चीन का एचक्यू-9 सिस्टम अब तक तुर्किस्तान, पाकिस्तान, मिस्र और मोरक्को जैसे देशों में बिक चुका है, लेकिन युद्धभूमि में इसकी विफलता ने इसकी साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं. चीन जानता है कि यह प्रणाली ज़मीनी हमलों के लिए बेहतर है, लेकिन वायु रक्षा के मोर्चे पर इसकी सीमाएं स्पष्ट हो चुकी हैं.
तकनीक नहीं, रणनीति देती है विजय
इस पूरी स्थिति ने एक बार फिर साबित किया कि युद्ध के मैदान में असली जीत केवल तकनीक से नहीं, बल्कि जज़्बा, सूझबूझ और साहस से मिलती है. भारत ने यह दिखा दिया कि वह न केवल आधुनिकतम तकनीकों से लैस है, बल्कि उन्हें सही समय पर प्रभावी रूप से इस्तेमाल करना भी जानता है.
(IANS)
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