
उदित वाणी, रांची : मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति [संथाल समाज] के 51 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों ने संथाल आदिवासियों के धार्मिक तीर्थ स्थल मरांङ बुरू पारसनाथ पर्वत के संरक्षण से संबंधित महत्वपूर्ण मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा और अपने अस्तित्व को बचाने की मांग की. संघर्ष समिति के सदस्यों द्वारा अपनी पारंपारिक पोशाक धोती-कुर्ता पहने वृध्द, माथे पर लाल-सफेद गमछा बांधे युवा समेत महिलायें मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात की तथा मरांङ बुरू को संथालों का धार्मिक तीर्थ स्थल घोषित करने, ग्राम सभा को उसके संरक्षण, निगरानी और प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपने की मांग की. इसके साथ ही संथाली प्रतिनिधिमंडल ने पारसनाथ पर्वत से अवैध कब्जा हटाने तथा धार्मिक असंतुलन व एकतरफा दिये गये सरकारी आदेशों को निरस्त करने की भी मांग की.
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि सरना, जाहेर थान, मांझी थान जैसे अन्य धार्मिक स्थलों को भी वैधानिक संरक्षण मिले और फाल्गुन शुक्ल पक्ष तृतीय को आयोजित होनेवाले मरांङ बुरू महोत्सव को राजकीय मान्यता देने का भी आग्रह किया. संघर्ष समिति द्वारा कहा गया कि भूमि एवं धार्मिक स्थल संविधान के अनुसार राज्यों का बिषय है. झारखण्ड सरकार आदिवासियों के धार्मिक स्थल मरांङबुरू, लुगूबुरू, अतु/ग्राम, जाहेर थान, मांझी थान, मसना, हड़गडी आदि धार्मिक स्थल की रक्षा के लिए आदिवासी धार्मिक स्थल संरक्षण अधिनियम बनाए. जबकि भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के संशोधन मेमोरंडम पत्र के आधार पर मरांग बुरू पारसनाथ पर्वत पर संथालियों के सदियों पुरानी पारंपारिक व धार्मिक व्यवस्था मांस मदिरा के सेवन एवं खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है. मरांङ बुरू [पारसनाथ पहाड़] को सिर्फ जैन समुदाय का सम्मेद शिखर विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल घोषित किया गया है. जो जैन समुदाय के पक्ष में एक तरफा एवं असंवैधानिक आदेश है, उसे रद्द किया जाय.
संघर्ष समिति ने कहा कि मरांङ बुरू [पारसनाथ पर्वत] में जैन समुदाय द्वारा वन भूमि पर अवैध ढंग से मठ-मंदिर, धर्मशाला आदि निर्माण किया गया है. अवैध ढंग से निर्माण को अतिक्रमण से मुक्त किया जाय. वहीं मुख्यमंत्री सोरेन ने मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों को भरोसा दिया कि राज्य सरकार द्वारा उनकी मांगों पर विधिसम्मत यथोचित कार्रवाई की जायेगी. प्रतिनिधिमंडल में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री फागू बेसरा, मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष रामलाल मुर्मू एवं साहित्यकार भोगला सोरेन बिशेष तौर पर उपस्थित थे. इनके साथ ही मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति के झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं छत्तीसगढ़ के बुद्धिजीवी सदस्य भी शामिल थे.
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।