नई दिल्ली: 7 मई को देशभर में होने वाली मॉक ड्रिल को लेकर गृह मंत्रालय में एक उच्च स्तरीय बैठक आरंभ हो चुकी है. इस बैठक की अध्यक्षता गृह सचिव गोविंद मोहन कर रहे हैं, जिसमें 244 सिविल डिफेंस जिलों के प्रतिनिधि और अन्य सुरक्षा अधिकारी शामिल हैं. यह बैठक नॉर्थ ब्लॉक स्थित गृह मंत्रालय में आयोजित की गई है.
राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय का प्रयास
बैठक में राज्यों के मुख्य सचिवों और वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी यह दर्शाती है कि यह ड्रिल केवल एक औपचारिक अभ्यास नहीं, बल्कि सुरक्षा व आपदा प्रबंधन की तैयारियों को परखने का एक राष्ट्रीय समन्वित प्रयास है. इसमें एनडीआरएफ, सिविल डिफेंस, अग्निशमन विभाग, एयर डिफेंस और सीमा से जुड़े जिलों के प्रतिनिधि भी हिस्सा ले रहे हैं.
सीमावर्ती जिलों और आपातकालीन परिदृश्यों पर विशेष ध्यान
इस अभ्यास का एक महत्वपूर्ण पहलू सीमावर्ती और संवेदनशील जिलों की तैयारी का मूल्यांकन है. ड्रिल में रॉकेट, मिसाइल और हवाई हमले जैसे संकट परिदृश्यों की तैयारी की समीक्षा की जाएगी. सायरन, ब्लैकआउट जैसी व्यवस्थाओं के क्रियान्वयन पर भी चर्चा हो रही है.
हालिया आतंकी घटना के बाद केंद्र की सक्रियता
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने व्यापक सुरक्षा समीक्षा की थी. उसी के तहत गृह मंत्रालय ने देशभर के राज्यों को 7 मई को व्यापक नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया है.
नागरिकों को सुरक्षा तकनीकों का प्रशिक्षण
सरकारी सूत्रों के अनुसार, मॉक ड्रिल के दौरान एयर रेड वार्निंग सायरनों का परीक्षण किया जाएगा. नागरिकों, विशेषकर छात्रों को संभावित हमले की स्थिति में सुरक्षित रहने की नागरिक सुरक्षा तकनीकों का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. इसके तहत क्रैश ब्लैकआउट की व्यवस्था भी लागू की जाएगी, ताकि हवाई निगरानी या हमले की स्थिति में शहरों और संवेदनशील ढांचों को छिपाया जा सके. इस पूरे आयोजन को देश की सुरक्षा क्षमताओं को परखने और उन्हें और अधिक सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
(IANS)
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