उदितवाणी, कांड्रा : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने आदिवासी अस्तित्व और आत्म-सम्मान की लड़ाई को उसके निर्णायक मुकाम तक पहुंचाने का संकल्प दोहराया. उन्होंने कहा कि वह संस्कृति, जिसकी रक्षा के लिए बाबा तिलका मांझी, वीर सिदो-कान्हू, पोटो हो, टाना भगत और भगवान बिरसा मुंडा ने बलिदान दिया, उसे मिटने नहीं देंगे.
धर्मांतरण को लेकर चेताया
चाकुलिया टाउन हॉल में आयोजित आदिवासी महासम्मेलन में उन्होंने धर्मांतरण के बढ़ते खतरे पर चिंता जताई. उन्होंने कहा– “अगर हम अब भी नहीं चेते, तो आने वाले समय में हमारे जाहेरस्थानों, सरना स्थलों और देशाउली में पूजा करने वाला कोई नहीं बचेगा.” उन्होंने आदिवासी समाज से अपील की कि वह अपनी सांस्कृतिक पहचान को बचाने के लिए एकजुट हो जाए.
संविधान और आरक्षण पर दो टूक
चंपाई सोरेन ने कहा कि भारत के संविधान ने आदिवासियों को जो आरक्षण का अधिकार दिया है, वह उन्हीं के लिए है जो अपनी परंपराओं और जीवनशैली का पालन करते हैं. जो लोग आदिवासी परंपरा को छोड़ चुके हैं, उन्हें इसमें दखल देने का अधिकार नहीं होना चाहिए. वहां मौजूद हजारों लोगों ने दोनों हाथ उठाकर उनके विचारों का समर्थन किया.
पारंपरिक ग्राम शासन व्यवस्था के क्षरण पर चिंता
पूर्व मुख्यमंत्री ने मांझी परगना, पाहन, पड़हा राजा और मानकी-मुंडा जैसे पारंपरिक प्रतिनिधियों से अपील की कि वे धर्मांतरण के खिलाफ खड़े हों. उन्होंने कहा कि संथाल परगना और छोटानागपुर में धर्मांतरण की बड़ी वजह यह है कि आदिवासी समाज की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था टूट चुकी है.
सामाजिक असंतुलन पर उठाए सवाल
चंपाई सोरेन ने संथाल परगना की स्थिति को चिंताजनक बताया. उन्होंने साहिबगंज जिला परिषद की अध्यक्ष का उदाहरण देते हुए कहा कि जब एक आदिवासी महिला दूसरे समुदाय में विवाह करती है, तो समाज उसे त्याग देता है. फिर ऐसे लोग आदिवासी आरक्षण में हिस्सेदारी कैसे कर रहे हैं?
उन्होंने सवाल उठाया कि जब आदिवासी बेटियों को शादी के बाद पैतृक संपत्ति का अधिकार नहीं मिलता, तो एसपीटी एक्ट के बावजूद बांग्लादेशी घुसपैठियों को ‘जमाई टोला’ बसाने के लिए जमीन कौन दिला रहा है?
जमीन अधिग्रहण पर नाराजगी
कपाली के बांधगोड़ा गांव का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि वहां डेढ़ सौ एकड़ से अधिक आदिवासी भूमि सीएनटी एक्ट लागू रहने के बावजूद छीनी जा चुकी है. उन्होंने इसे रोकने की जरूरत बताई.
कांग्रेस पर साधा निशाना
तालियों की गूंज के बीच उन्होंने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि तथाकथित अबुआ सरकार का गठबंधन जिस कांग्रेस से है, उसने हमेशा आदिवासियों को धोखा दिया है. 1961 में आदिवासी धर्म कोड हटवाने और झारखंड आंदोलन के दौरान आदिवासियों पर गोलियां चलवाने का आरोप उन्होंने कांग्रेस पर लगाया. उन्होंने यह भी कहा कि कार्तिक उरांव द्वारा लाया गया डीलिस्टिंग बिल, सांसदों के समर्थन के बावजूद कांग्रेस ने ठंडे बस्ते में डाल दिया.
कार्यक्रम की शुरुआत श्रद्धांजलि से
कार्यक्रम की शुरुआत चंपाई सोरेन द्वारा वीर सिदो-कान्हू और ओलचिकी लिपि के आविष्कारक पंडित रघुनाथ मुर्मू की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने से हुई. इसके बाद उन्होंने दिशोम जाहेर गढ़ में पूजा-अर्चना की. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मांझी परगना, पारंपरिक ग्राम प्रधान और हजारों आम लोग मौजूद थे.
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