
उदित वाणी, पटमदा : पूर्वी सिंहभूम जिले के बोड़ाम प्रखंड अंतर्गत बोंटा–माधवपुर मुख्य सड़क का चौड़ीकरण सह निर्माण कार्य करीब दो साल पहले ही पूरा हो चुका है. यह कार्य पथ निर्माण विभाग द्वारा किया गया था, जिसमें वन विभाग और स्थानीय रैयतों की जमीन का अधिग्रहण लगभग 7 वर्ष पूर्व कर लिया गया था.
सात साल बीते, मुआवज़ा अभी भी अधूरा
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण के इतने वर्षों बाद भी उन्हें मुआवज़ा नहीं मिला है. हले बोड़ाम, माधवपुर, आंधारझोर, वनडीह, रेचाडीह और पलाशडीह गांवों के दर्जनों रैयत पिछले 5 वर्षों से भू-अर्जन कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं. विभाग पहले फंड की कमी का हवाला देता रहा, लेकिन नवंबर 2024 में फंड मिलने के बावजूद अब तक आधे से अधिक रैयतों को भुगतान नहीं किया गया है.
भू-अर्जन पदाधिकारी से प्रतिनिधिमंडल की मुलाक़ात
गुरुवार को जिला पार्षद प्रतिनिधि माणिक चंद्र महतो के नेतृत्व में ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल जिला भू-अर्जन पदाधिकारी गुंजन कुमारी सिन्हा से मिला. बैठक के दौरान रैयतों ने भादूडीह-सातनाला-बोड़ाम-माधवपुर सड़क परियोजना में किए गए भूमि अधिग्रहण के मुआवज़े की मांग की.
माणिक महतो ने कहा, “अधिकारियों की लापरवाही के कारण ग्रामीण सात वर्षों से मुआवज़ा पाने से वंचित हैं. यह सरासर अन्याय है.”
11 जून से मुआवज़ा भुगतान का आश्वासन
जिला भू-अर्जन पदाधिकारी गुंजन कुमारी सिन्हा ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वे 10 जून को उपायुक्त से मिलकर पूरे प्रकरण की जानकारी साझा करेंगी. इसके बाद प्रभावित गांवों में कैंप लगाकर कागजी प्रक्रिया पूरी की जाएगी और 11 जून से मुआवज़ा वितरण शुरू किया जाएगा.
बैठक में कौन-कौन रहे उपस्थित?
इस अवसर पर कैलाश महतो, आनंद महतो, भरत मंडल, विश्वनाथ कड़ा मुदी, सुखदेव महतो, निमाई प्रमाणिक, गणेश प्रमाणिक, मनतोष महतो, बुद्धेश्वर महतो, रमेश कोड़ा मुदी और दयामय महतो समेत कई रैयत उपस्थित थे.
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