चंडीगढ़: भारत और पाकिस्तान के बीच 10 दिन की संघर्षविराम स्थिति के बाद सीमा सुरक्षा बल (BSF) आज शाम से पंजाब की अटारी-वाघा, हुसैनीवाला और फाजिल्का सीमाओं पर सीमित रूप से बीटिंग रिट्रीट समारोह की पुनरारंभ करेगा. यह आयोजन दोनों देशों के बीच 12 दिन के सैन्य तनाव के शांत होने के बाद हो रहा है.
दर्शकों को अनुमति, मगर सीमित संपर्क
अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तान रेंजर्स के साथ कोई औपचारिक अभिवादन या सीमा द्वार खोलने की संभावना नहीं है. हालांकि, आम नागरिकों और पर्यटकों को समारोह देखने की अनुमति होगी. यह आयोजन शाम 6 बजे अटारी सीमा (अमृतसर), हुसैनीवाला सीमा (फिरोजपुर) और सादकी सीमा (फाजिल्का) पर एक साथ आयोजित होगा.
नागरिकों से भागीदारी की अपील
बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट फ्रंट ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे शाम 5:30 बजे तक सादकी सीमा पर पहुंचें और बड़ी संख्या में इस आयोजन का हिस्सा बनें. सामान्य दिनों की तरह विदेशी दर्शकों की उपस्थिति भी संभावित है.
एक परंपरा, जो वर्षों से जोड़ती आई है
बीटिंग रिट्रीट समारोह 1959 से सीमा पर दोनों देशों द्वारा साझा किया जाने वाला एक ऐतिहासिक और सैन्य परंपरा है. इसमें दोनों ओर के सैनिक निर्धारित गति से झंडा उतारने की रस्म निभाते हैं, जो दर्शकों के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र होती है.
मिठास की परंपरा, जो कड़वाहट में छूट गई थी
त्योहारों के अवसरों जैसे दीवाली, ईद, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर सीमा रक्षक पारंपरिक रूप से मिठाइयों का आदान-प्रदान करते रहे हैं. हालांकि, 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद यह परंपरा टूट गई थी.
कोविड और तनाव ने डाला था विराम
मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के चलते दर्शकों की उपस्थिति पर रोक लगाई गई थी. इससे पहले 2019 में नियंत्रण रेखा पर बढ़ते युद्धविराम उल्लंघनों के चलते भारत ने कुछ परंपराओं को स्थगित किया था.
अटारी-वाघा: जहां हर दिन इतिहास रचा जाता है
अमृतसर से लगभग 30 किलोमीटर और लाहौर से 22 किलोमीटर दूर स्थित अटारी-वाघा सीमा पर सामान्य दिनों में करीब 25,000 दर्शक इस आयोजन को देखने पहुंचते हैं. यह स्थल भारत-पाकिस्तान के संबंधों का एक जीवंत प्रतीक बन चुका है.
(IANS)
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