उदित वाणी, नई दिल्ली: रतन टाटा के निधन के बाद टाटा ग्रुप बदलाव के दौर से गुजर रहा है. इस मामले में ताजा अपडेट यह है कि टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा की बेटियों माया टाटा और लीह टाटा को सर रतन टाटा इंडस्ट्रियल इंस्टीट्यूट (एसआरटीआईआई) के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज में शामिल किया गया है. एसआरटीआईआई सर रतन टाटा ट्रस्ट की एक इकाई है जो ग्रुुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के दो प्रमुख शेयरधारकों में से एक है. माया और लीह टाटा ने अरनाज कोटवाल और फ्रेडी तलाटी की जगह ली है. इन दोनों ने एसआरटीआईआई के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज से इस्तीफा दे दिया है.
आज हुए इस बदलाव के साथ ही नोएल टाटा के बच्चे सभी छोटे आकार के टाटा ट्रस्ट्स के बोर्ड में शामिल हो गए हैं,हालांकि उन्हें टाटा संस को कंट्रोल करनेवाले दो मुख्य ट्रस्टों सर रतन टाटा ट्रस्ट एंड अलाइड ट्रस्ट्स और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और अलाइड ट्रस्ट्स में शामिल किया जाना बाकी है.नोएल टाटा के तीन बच्चे हैं जिनमें से लीह और माया बेटियां जबकि नेविल बेटा है. नोएल टाटा दिवंगत रतन टाटा के सौतेले भाई हैं. उन्हें अक्टूबर 2024 में टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन नियुक्त किया गया था. इस बदलाव को लेकर कुछ नाराजगी भी सामने आई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक निवर्तमान ट्रस्टी अरनाज कोटवाल ने साथी ट्रस्टियों को पत्र लिखकर इस पर नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि नए ट्रस्ट्रीज को लाने के लिए जिस तरह से उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा गया, वह सही नहीं था.एसआरटीआईआई का व्यापक अपग्रेडेशन किया जा रहा है.
इसे देखते हुए एसआरटीटी ट्रस्टी ऐसे नॉमिनी चाहते थे जिन्हें एसआरटीआईआई में काम करने का अनुभव है तथा जो रेगुलर रूप से मुंबई में रहते हैं.एसआरटीआईआई की स्थापना 1928 में नवाजबाई टाटा तथा स्त्री जरथ्रुस्टी मंडल ने गरीब महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए की थी. इन्स्टीच्यूट ने कुकिंग, सिलाई, कढ़ाई तथा मोंटेसरी शिक्षक प्रशिक्षण यूनिट में महिलाओं के लिए संस्थान बनाए हैं.
इन्स्टीच्यूट की ओर से कहा गया है कि लीह तथा माया की नियुक्ति का निर्णय एसआरटीटी बोर्ड द्वारा सर्वसम्मति से लिया गया. इसमें नोएल टाटा, विजय सिंह, वेणु श्रीनिवासन, डेरियस खंबाटा, जहांगीर एच. जहांगीर तथा मेहली मिस्त्री शामिल थे. एसआरटीआईआई के बोर्ड में अन्य ट्रस्टियों में फरीदा टाटा, आलू टाटा, मेहनोश कपाडिय़ा तथा धन खुसरोखान शामिल हैं. समझा जा रहा है कि छोटे ट्रस्टों में नई पीढ़ी को जिम्मेदारी देकर उन्हें बड़ी जिम्मेदारियों के लिए तैयार किया जा रहा है.
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