विश्व रक्तदाता दिवस 14 जून 2022 पर विशेष
14 जून विश्व रक्तदाता दिवस के रुप में मनाया जाता है. वर्ष 2005 में विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा इन्टरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस ने महान वैज्ञानिक, ABO ब्लड ग्रुपिंग सिस्टम के जनक नोबेल पुरस्कार विजेता कार्ल लैण्ड स्टैनर के जन्मदिन 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस के रूप में रक्तदाताओं के सम्मान में मनाने का निर्णय लिया.
यह दिवस उन लाखों रक्तदाताओं के सम्मान में मनाया जाता है जो नियमित रक्तदान करते हैं और उनके रक्तदान से किसी को जीवनदान मिलता है और यह दिवस नये युवाओं को रक्तदान अभियान से जोडऩे का भी है. एक व्यक्ति का रक्तदान दूसरे व्यक्ति को नया जीवन देने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है.
रेड क्रॉस पूर्वी सिंहभूम तथा जमशेदपुर के लिए यह गर्व की बात है कि इस शहर के रक्तदाता पूरे भारत वर्ष में सबसे जागरुक रक्तदाता माने जाते हैं. इस शहर में अब रक्त के अभाव में किसी की मृत्यू नहीं होती, इसका श्रेय इस शहर के रक्तदाताओं को जाता है.
रेड क्रॉस, पूर्वी सिंहभूम तथा जमशेदपुर ब्लड बैंक ने नियमित स्वैच्छिक रक्तदाताओं में जागरुकता पैदा करने तथा जरुरतमंदों को सुरक्षित रक्त उपलब्ध कराने का सफल प्रयास किया है. जमशेदपुर के रक्तदाताओं ने कई संकटकालीन स्थितियों में रक्तदान के प्रति जो भावनात्मक सम्मान दिखाया है वह एक उदाहरण है.
गर्मी के मौसम में जब रक्त की जरूरत बढ़ जाती है और रक्तदान शिविर कम होने लगते हैं ऐसे समय पूरी गर्मी में रेड क्रॉस के आह्वान पर रिकार्ड रक्तदान होता है. 8 मई विश्व रेड क्रॉस दिवस तो जैसे रक्तदाताओं के लिए एक महोत्सव बन जाता है. इस दिन तथा 1 अक्टूबर विश्व रक्तदान दिवस पर हजारों लोग रक्तदान के लिए उमड़ पड़ते हैं.
हमने बीते 8 मई को देखा और कोरोना लॉकडाउन और भीषण गर्मी के बीच जब लोग अपने जरूरी काम से घर से नहीं निकले, सारे स्कूल कोलेज बंद, व्यसायिक प्रतिष्ठान, उद्योग धंधे बंद रहे, वहीं रक्तदाताओं ने रेड क्रॉस के आह्वान पर सारे नियम कानून को मानते हुए इतना रक्तदान किया कि हर जरूरतमन्द को कठिन परिस्थिति में भी रक्त उपलब्ध हो पाया.
हां, यह वही संकल्प है जो इस शहर के प्रत्येक रक्तदाता ने लिया कि गर्मी हो या सर्दी हो या कोरोना का डर, जीवन की लड़ाई में हर रक्तदाता जरूरतमंदों की जीवनरक्षा के लिए लिए रक्तदान करेंगे और शहर में रक्त का अभाव नहीं होने देंगे. सिर्फ एक दिन नहीं, एक साल नहीं रक्तदाता का आभार तो वो जीवन भर मानते हैं, जिन्होने इसकी कमी के समय इसे पाकर नया जीवन पाया.
रेड क्रॉस, पूर्वी सिंहभूम भी पूरे कृतज्ञता से मानव जीवन की रक्षा के लिए रक्तदान करने वाले प्रत्येक रक्तदाता का सम्मान करती है. इस शहर के लिए गर्व की बात यह भी शहर के 41 रक्तदाताओं ने अपने रक्तदान का शतक पूरा किया है.
वर्तमान में ये विज्ञान का वरदान ही है, जिसने रक्तदान को एक ओर जहां जरूरतमंदों के लिए जीवनदान साबित किया वहीं रक्तदाता के स्वास्थय के लिए भी हितकर बताया और अब उससे बढ़कर एक रक्तदाता के रक्त से चार लोगों की जीवन रक्षा हो सकती है. ये संभव हुआ रक्त के कम्पोनेंट के विभाजन से, जिससे जिस तरह के रोगी को रक्त के जिस भाग की आवश्यकता हो, उसे पुर्ण रक्त न देकर उसके जरूरत का पृथक रक्त भाग दिया जाता है.
आज रक्त को चार भागों में विभाजित किया जाता है जिसके तहत पैकशेल (रेड ब्लड शेल), फ्रेश फ्रोजेन प्लाज्मा, प्लेटलेट कन्सन्ट्रेट, फैक्टर 1द्बद्बद्ब आते हैं. 14 जून ब्लड ग्रुपिंग सिस्टम ए, बी, ओ के महान आविष्कारक नोबल पुरस्कार विजेता कार्ल लेण्डस्टेनर का जन्मदिन भी है, इसलिए इस दिन का और भी विशेष महत्व है.
इस दिन को पूरे विश्व में रक्तदान अभियान के प्रति समर्पित अन्तर्राष्ट्रीय रेड कोस सोसाईटी तथा रेड क्रिसेन्ट सोसाईटी, विश्व स्वास्थ्य संगठन, इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लड डोनर्स आर्गेनाइजेशन्स, इंटरनेशनल सोसाईटी ऑफ ब्लड ट्रांस्फ्यूजन तथा रेड क्रॉस की विभिन्न राष्ट्रीय एवं स्थानीय शाखाएं पूरे विश्व में रक्तदाताओं के सम्मान दिवस के रूप में मनाती है.
14 जून विश्व रक्तदाता दिवस एक ऐसा अवसर प्रदान करता है जिस दिन हम रक्तदान कर दूसरों को जीवन का उपहार देनेवाले महान लोगों का सम्मान कर उनके प्रति आभार प्रकट करते हैं. दुनिया के हर कोने में हर पल किसी न किसी को जीवित रहने के लिए रक्त की आवश्यकता पड़ती है.
रक्त की कमी का शिकार एनीमिया, थैलेसिमिया से ग्रस्त बच्चे, मलेरिया, डेंगू, मैलन्युट्रिशन, सड़क दुर्घटनाओं के शिकार, गर्भवती महिलायें विशेषकर होती हैं. कई मामलो में रक्त के अभाव में इनके शिकार अकाल मौत को पाते हैं, ऐसी मौतों पर रक्तदाताओं के सहयोग से ही काबू पाया जा सकता है.
दुनिया में हर कोने में ऐसे लाखों लाख रक्तदाताओं की आवश्यकता है जो अपने रक्त से दूसरों का जीवन बचा सकें. इसके लिए आवश्यक है कि अधिक से अधिक लोग खास कर 18 वर्ष के ऊपर के छात्र और नौजवान रक्तदान के प्रति समर्पित हों. रक्तदाता जहां अपने रक्त से दूसरों के जीवन की रक्षा करते हैं वहीं रक्तदान से वे स्वयं भी स्वस्थ एवं प्रसन्न रहते हैं.
दूसरों के जीवन रक्षा की एक अजीब सी अनुभूति हर रक्तदाता के दिल में होती है.
उसका रक्त किसे दिया जाएगा और किसकी जान बचेगी यह जाने बिना नि:स्वार्थ भाव से रक्तदान करना उसी अनुभूति का परिणाम होता है. भारतीय रेड क्रास सोसाईटी, पूर्वी सिंहभूम नगर एवं जिले के उन सभी रक्तदाताओं के प्रति हार्दिक सम्मान प्रकट करती है, जो रेडक्रास के रक्तदान शिविरों के साथ साथ विभिन्न संगठनों के माध्यम से रक्तदान कर अमूल्य मानव जीवन की रक्षा करते हैं. आज जरूरत इस बात की है कि हम स्वयं तो रक्तदान करें ही, औरों को भी रक्तदान के लिए प्रेरित करें, प्रोत्साहित करें.
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