उदित वाणी, जमशेदपुर: खरसावां, एक मनोरम स्थल जो पहाड़ियों से घिरा हुआ है, अपने ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है. यहां स्थित मां आकर्षिणी का मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह एक प्रमुख पर्यटक स्थल भी बन चुका है. इस स्थान पर पूजा करने आए भक्तों का विश्वास है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. विशेष रूप से मकर संक्रांति के दिन इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जुटती है, जहां वे मां के आशीर्वाद से नववर्ष का शुभारंभ करते हैं.
प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक शक्ति का संगम
मां आकर्षिणी का मंदिर खरसावां प्रखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यह स्थल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है. यहां की आध्यात्मिक शक्ति भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है. यह मंदिर अपनी विशिष्टता के कारण प्रसिद्ध है, जहां भक्तों का विश्वास है कि यहां उनकी इच्छाएं पूरी होती हैं. कहा जाता है कि देवी का आकर्षण न केवल भक्तों को अपनी ओर खींचता है, बल्कि यह आस-पास के बादलों को भी आकर्षित कर बारिश कराता है, जिससे यह स्थल अधिक चमत्कारी प्रतीत होता है.
महाभारत से जुड़ा आकर्षिणी मंदिर
मां आकर्षिणी का मंदिर महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि लाक्षागृह की घटना के बाद पांडव इस क्षेत्र में आए थे और यहीं पर भीम ने हिड़िबा से विवाह किया था. इस मंदिर से जुड़ी कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, घटोत्कच भी यहां पूजा करते थे. यह मंदिर उनके लिए विशेष महत्व रखता था. इस मंदिर में देवी की पूजा पत्थरों के रूप में की जाती है, जो पूरे झारखंड में अन्य स्थानों से अलग है.
आकर्षिणी के सात बहनें और उनकी पूजा परंपरा
आकर्षिणी देवी के सात बहनें भी विभिन्न स्थानों पर स्थापित हैं. ये बहनें उड़ीसा, खरसावां, चक्रधरपुर और अन्य स्थानों पर पूजा जाती हैं. इन स्थानों पर देवी के अन्य रूपों की पूजा होती है, जो क्षेत्रवासियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं.
आखान यात्रा और पूजा परंपराएं
मां आकर्षिणी के मंदिर में चार प्रमुख पूजा परंपराओं का आयोजन होता है. जांताल पूजा सावन माह के दसवें दिन होती है, जिसमें 112 गांवों के किसान भाग लेते हैं. इस पूजा का उद्देश्य खेती के लिए पर्याप्त बारिश सुनिश्चित करना है. मकर संक्रांति के दिन सुबह से ही भक्तों की भीड़ जुटने लगती है और 15 जनवरी को आखान यात्रा होती है, जो नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है.
आखान यात्रा का महत्व
आखान यात्रा का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है, इसे यज्ञों के महत्व और हिमालय पर्वत की ऊंचाई के समान माना जाता है. यह यात्रा भक्तों के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिसे वे हर वर्ष बड़े धूमधाम से मनाते हैं.
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