
नई दिल्ली: आधुनिक जीवनशैली और असंतुलित खानपान के दौर में हृदय रोगों का बढ़ता खतरा चिंता का विषय बन चुका है। ऐसे समय में आयुर्वेदिक परंपराएं और प्राचीन घरेलू उपाय एक बार फिर लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। इन्हीं उपायों में से एक है—‘ताम्रजल’, अर्थात् तांबे के बर्तन में रातभर रखा गया पानी, जो अगली सुबह पीने पर स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है।
आयुर्वेद में वर्णित ताम्रजल के गुण
आयुर्वेद के अनुसार, जब स्वच्छ जल को कम से कम 8 से 10 घंटे तक तांबे के पात्र में रखा जाता है, तो उसमें तांबे के सूक्ष्म तत्व घुलकर जल को औषधीय गुणों से भर देते हैं। इस जल का नियमित सेवन—
रक्त को शुद्ध करता है
कोलेस्ट्रॉल स्तर को संतुलित करता है
हृदय की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाता है
पाचन तंत्र को सुदृढ़ करता है
इम्यून सिस्टम को मजबूती देता है
वैज्ञानिक पुष्टि: एनआईएच की रिपोर्ट
2012 में अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में ‘ताम्रजल’ की बैक्टीरिया-नाशक शक्ति का उल्लेख किया गया है। अध्ययन के अनुसार, तांबे के बर्तन में रखा पानी ई. कोलाई जैसे खतरनाक बैक्टीरिया के पनपने से रोकता है और उन्हें निष्क्रिय कर देता है। तांबे में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण इसे एक प्रभावशाली प्राकृतिक औषधि बनाते हैं, जो शरीर को भीतर से शुद्ध करता है।
हृदय रोगों के विरुद्ध एक सरल उपाय
स्वस्थ जीवन के लिए हर सुबह खाली पेट तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीना अत्यंत लाभदायक है। यह उच्च रक्तचाप, ब्लॉकेज और हार्ट अटैक जैसे खतरों से बचाव कर सकता है। विशेष रूप से ऐसे समय में जब हृदय रोग की घटनाएं बढ़ रही हैं, यह उपाय एक सुरक्षित, सस्ता और वैज्ञानिक रूप से समर्थित विकल्प प्रदान करता है।
‘ताम्रजल’ केवल एक पारंपरिक उपाय नहीं, बल्कि आज की स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए एक व्यवहारिक समाधान है। आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों इसकी पुष्टि करते हैं। ऐसे में इसका नियमित सेवन आपके दिन की शुरुआत को न केवल ऊर्जा से भर सकता है, बल्कि आपके हृदय को भी दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
(IANS)
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