नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार 2,000 रुपये से अधिक के यूपीआई ट्रांजैक्शन पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने के किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है. मंत्रालय ने इसे पूरी तरह से गलत, भ्रामक और तथ्यहीन बताया है.
मर्चेंट डिस्काउंट रेट पर पहले से राहत
मंत्रालय ने बताया कि यूपीआई के ज़रिए पर्सन-टू-मर्चेंट (P2M) भुगतान पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) पहले ही समाप्त किया जा चुका है. यह निर्णय केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा 30 दिसंबर, 2019 को जारी अधिसूचना के माध्यम से लागू किया गया, जो जनवरी 2020 से प्रभाव में है.
यूपीआई ट्रांजैक्शन पर नहीं है कोई जीएसटी
सरकार के मुताबिक, चूंकि वर्तमान में यूपीआई ट्रांजैक्शन पर कोई MDR शुल्क नहीं है, इसलिए इन पर किसी प्रकार का जीएसटी लागू नहीं होता.
डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की सरकारी योजना
सरकार यूपीआई आधारित डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. वित्त वर्ष 2021-22 से एक विशेष प्रोत्साहन योजना प्रारंभ की गई है, जो कम मूल्य वाले P2M ट्रांजैक्शन को लक्षित करती है. इस योजना से छोटे व्यापारियों को डिजिटल भुगतान अपनाने में सहायता मिलती है.
वर्षवार प्रोत्साहन राशि का आवंटन
वित्त वर्ष 2021-22: ₹1,389 करोड़
वित्त वर्ष 2022-23: ₹2,210 करोड़
वित्त वर्ष 2023-24: ₹3,631 करोड़
इन प्रोत्साहनों ने डिजिटल भुगतान प्रणाली को व्यापक रूप से मजबूत किया है.
भारत बना ग्लोबल डिजिटल लीडर
ACI वर्ल्डवाइड की रिपोर्ट 2024 के अनुसार, वर्ष 2023 में वैश्विक रियल-टाइम ट्रांजैक्शन में भारत की हिस्सेदारी 49% रही. इससे भारत की डिजिटल पेमेंट इनोवेशन में वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थिति स्पष्ट होती है.
UPI लेनदेन में अभूतपूर्व वृद्धि
वित्त वर्ष 2019-20 में जहां यूपीआई ट्रांजैक्शन वैल्यू ₹21.3 लाख करोड़ थी, वहीं मार्च 2025 तक इसके ₹260.56 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. विशेष रूप से, P2M ट्रांजैक्शन ₹59.3 लाख करोड़ के स्तर तक पहुंच गया है, जो मर्चेंट स्तर पर तेज स्वीकार्यता और उपभोक्ता विश्वास को दर्शाता है.
(IANS)
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