नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसले में केंद्र सरकार द्वारा देश छोड़ने का नोटिस पाए छह कथित पाकिस्तानी नागरिकों को फिलहाल भारत से बाहर भेजने पर रोक लगा दी है. इन लोगों का दावा है कि वे भारतीय नागरिक हैं और उनके पास भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड सहित कई वैध दस्तावेज मौजूद हैं.
परिवार ने सुनाई व्यथा– “गाड़ी में बैठाकर अटारी बॉर्डर तक ले जाया गया”
याचिकाकर्ता के वकील नंदकिशोर ने अदालत में बताया कि यह मामला बेहद गंभीर और चौंकाने वाला है. उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति के पास भारतीय नागरिकता के प्रमाण मौजूद हैं और फिर भी उसे पाकिस्तान भेजने का प्रयास किया जा रहा है, तो यह नागरिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है.
याचिका में बताया गया कि पूरा परिवार भारतीय है. दो बेटे बेंगलुरु में कार्यरत हैं, बाकी सदस्य माता-पिता, भाई और बहन हैं. जब उन्हें देश छोड़ने का नोटिस मिला, तो वे हैरान रह गए. उन्हें जबरन गाड़ी में बैठाकर अटारी बॉर्डर तक ले जाया गया और पाकिस्तान भेजने की तैयारी की गई.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश– जांच पूरी होने तक नहीं होगी कार्रवाई
जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकारी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों की पूर्ण जांच करें और इस दौरान किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए. न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक वैधता पर निर्णय नहीं आ जाता, तब तक परिवार को भारत से बाहर नहीं भेजा जा सकता.
बड़े राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में मामला आया सामने
यह मामला ऐसे समय सामने आया है जब हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कठोर कदम उठाए हैं. इनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का निर्देश और राजनयिक संबंधों में कटौती शामिल हैं.
प्रश्न उठे – क्या प्रशासन जल्दबाजी में उठा रहा है कदम?
इस पूरे मामले ने प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या पर्याप्त जांच किए बिना नागरिकों को विदेश भेजने का प्रयास हो रहा है? यह मामला आगे चलकर देश में नागरिकता जांच और पहचान की प्रक्रिया पर एक नई बहस को जन्म दे सकता है.
(IANS)
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