उदित वाणी,चांडिल: बुधवार को चांडिल प्रखंड के तामुलिया पंचायत अंतर्गत काड़ाधोरा गांव में वन विभाग की कार्रवाई के खिलाफ ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए.
आरोप: गरीब आदिवासी महिलाओं पर केस दर्ज
ग्रामीणों का आरोप है कि कुछ दिन पहले 8-10 गरीब आदिवासी महिलाएं, जो जलावन के लिए जंगल से सूखी लकड़ी इकट्ठा करती हैं, उन्हें वन विभाग के अधिकारियों ने धमकाया. उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया, जबकि वे वन अधिनियम 2006 के तहत अपने अधिकार के भीतर कार्य कर रही थीं.
ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग लकड़ी माफियाओं पर कार्रवाई करने के बजाय गरीब आदिवासियों को प्रताड़ित कर रहा है.
सामाजिक कार्यकर्ता का आरोप
सामाजिक कार्यकर्ता बाबू राम सोरेन ने सवाल उठाया कि चांडिल, मानगो और डीमना क्षेत्रों में सैकड़ों की संख्या में चल रहे लकड़ी टाल वन विभाग की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हैं. उन्होंने पूछा, “डीएफओ लकड़ी माफियाओं पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे? गरीब आदिवासियों के खिलाफ ही कार्रवाई क्यों हो रही है?”
उग्र आंदोलन की चेतावनी
बाबू राम सोरेन ने कहा कि अगर आदिवासी महिलाओं और पुरुषों के खिलाफ दर्ज केस वापस नहीं लिया गया तो वन अधिकारियों के खिलाफ आदिवासी उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया जाएगा. उन्होंने उग्र आंदोलन करने की चेतावनी भी दी.
वन विभाग की सफाई
चांडिल वन क्षेत्र के रेंजर शशि रंजन ने कहा कि निर्दोष ग्रामीणों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. उन्होंने आश्वासन दिया कि वन विभाग दोषियों पर कड़ी नजर रखे हुए है और जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी. विरोध प्रदर्शन में मांझी बाबा होपोन हेंब्रम, शंकर मुर्मू, सोनाराम हेंब्रम, छुटु हेंब्रम, भटमा मारडी, इन्द्र टुडू, बबलू टुडू, बबलू सोरेन और सुदन टुडू समेत सैकड़ों ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए.
क्या मिलेगा न्याय?
यह देखना होगा कि वन विभाग गरीब आदिवासी समुदाय की समस्याओं का समाधान कर पाता है या नहीं. ग्रामीणों के इस विरोध ने आदिवासियों के वन अधिकारों और वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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