उदित वाणी, रांची: झारखंड राज्य में वक्फ बोर्ड के अधीन लगभग 700 चल-अचल संपत्तियां मौजूद हैं. इनमें सर्वाधिक संपत्तियां रांची में स्थित हैं, जो राजस्व और उपयोग की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं. देश में हाल ही में लागू हुए नए वक्फ कानून के बाद इन संपत्तियों के प्रभावी प्रबंधन और पारदर्शिता की उम्मीद बढ़ी है.
कमिटियों से जवाब तलब: हिसाब न देने पर कार्रवाई तय
बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि राज्य की कई वक्फ कमिटियां समय पर संपत्तियों से संबंधित आय-व्यय का ब्यौरा नहीं दे रही हैं. इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए बोर्ड ने चेतावनी दी है कि यदि निर्धारित समयावधि में विवरण नहीं दिया गया, तो संबंधित कमिटियों को भंग कर दिया जाएगा. बोर्ड का मानना है कि संपत्तियों की जानकारी और प्रबंधन में पारदर्शिता लाना न केवल धार्मिक हित में है, बल्कि इससे इन संसाधनों का सदुपयोग भी सुनिश्चित होगा.
क्या नया कानून ला पाएगा सुधार की दिशा?
देश में लागू हुए नए वक्फ अधिनियम के तहत अब संपत्तियों के डिजिटलीकरण, पारदर्शी लेखा प्रणाली और उत्तरदायी प्रबंधन की दिशा में काम हो रहा है. हालांकि, झारखंड जैसे राज्यों में इन सुधारों को ज़मीनी स्तर पर लागू करना एक बड़ी चुनौती है.
समाज का सवाल: वक्फ की संपत्ति समाज के हित में कब उपयोग होगी?
समाज के कई बुद्धिजीवी और धार्मिक संगठन यह प्रश्न उठा रहे हैं कि वक्फ की इन संपत्तियों का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के लिए कैसे सुनिश्चित किया जाए.
(SHABD)
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