उदित वाणी, जमशेदपुर: खरसावां स्थित शहीद स्थल पर राष्ट्रीय सूड़ी समाज की ओर से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इस अवसर पर शिक्षक सनत मंडल, रविंद्र मंडल, तपन मंडल, कार्तिक मंडल, लक्ष्मण मंडल और सुषेण मार्डी जी उपस्थित हुए. श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए रविंद्र मंडल जी ने कहा कि झारखंड में सूड़ी और आदिवासी समुदायों का आपसी संबंध बहुत मजबूत है और हम दोनों समुदायों की परंपरा और संस्कृति को साझा करते हैं.
खरसावां शहीद दिवस का ऐतिहासिक महत्व
खरसावां शहीद दिवस झारखंड के खरसावां जिले में एक महत्वपूर्ण दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह दिन उन शहीदों की याद में समर्पित है जिन्होंने झारखंड की स्वतंत्रता और आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी.
इतिहास में झारखंड के आदिवासी संघर्ष
खरसावां शहीद दिवस की शुरुआत 19वीं शताब्दी में होती है, जब झारखंड के आदिवासी समुदाय ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया था. इस संघर्ष के दौरान कई आदिवासी नेताओं और सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. इन बलिदानों को याद करते हुए हर साल यह दिन श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाता है.
प्रमुख आयोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम
इस दिवस पर झारखंड के विभिन्न हिस्सों में कई आयोजन किए जाते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना
आदिवासी संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन
झारखंड की स्वतंत्रता और आदिवासी अधिकारों के लिए किए गए संघर्षों पर चर्चा
सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शन
खरसावां शहीद दिवस का सामाजिक महत्व
यह दिवस झारखंड के आदिवासी समुदायों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है. यह शहीदों के बलिदान को याद करने का अवसर है और साथ ही साथ आदिवासी संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए प्रेरित करता है.
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