उदित वाणी, रांची: झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में 20 करोड़ रुपये से अधिक की सरकारी राशि के गबन के गंभीर आरोपों की जांच अब औपचारिक रूप से एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा शुरू कर दी गई है. इस मामले में राज्य सरकार के निर्देश पर रांची के सदर थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है.
डीआईजी की सिफारिश पर कार्रवाई
रांची के डीआईजी सह वरीय पुलिस अधीक्षक ने इस घोटाले की गंभीरता को देखते हुए प्राथमिक जांच के बाद एसीबी जांच की अनुशंसा की थी. प्रारंभिक स्तर पर सामने आए तथ्यों ने वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि की, जिसके आधार पर अब पूरे मामले की परत-दर-परत जांच की जा रही है.
योजनाओं के फंड में हेरफेर की आशंका
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यह गबन मुख्य रूप से पेयजल परियोजनाओं और स्वच्छता से जुड़ी योजनाओं के लिए स्वीकृत फंड से संबंधित है. संदेह है कि यह फर्जी बिलिंग, काम के बिना भुगतान या निर्माण कार्यों में हेरफेर जैसे तरीकों से किया गया है.
दोषियों की पहचान में जुटी ACB
जांच एजेंसी अब इस बात का पता लगाने में जुटी है कि किन अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से यह वित्तीय फर्जीवाड़ा अंजाम दिया गया. साथ ही संबंधित योजनाओं के वित्तीय लेन-देन, स्वीकृत बजट, भुगतान व व्यय के विवरण की गहराई से पड़ताल की जा रही है.
सरकारी योजनाओं पर प्रश्नचिह्न
इस घोटाले ने पेयजल और स्वच्छता जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. यह वही योजनाएं हैं, जिनका उद्देश्य ग्रामीण और शहरी आबादी को स्वच्छ पेयजल और साफ-सफाई की मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराना है.
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