उदित वाणी,सरायकेला: सिरसा ग्राउंड सीनी में एक योग एवं आसन पर एक शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर पर योग प्रशिक्षक आचार्य गुणीन्द्र नंद अवधूत ने कहा जिस अवस्था में सुख से रहा जा सकता है उसका नाम आसन स्थिरसुखमासनम। आसन एक प्रकार का व्यायाम है इसके नियमित अभ्यास से शरीर स्वस्थ और कर्मठ रहता है बहुत से रोग दूर होते हैं। जीव का शिव में मिलना ही योग है किंतु रोग दूर करने के उद्देश्य से आसन नहीं किया जाता जो रोग साधना के पथ में बाधा सृस्टि करते हैं मात्र उन्हें ही विशेष आसन के द्वारा दूर किया जाता है जिससे और अच्छी तरह साधना हो सके शरीर और मन का संबंध बहुत घनिष्ठ है मन का अभि -प्रकाश वृत्तियों के माध्यम से होता है और वृत्ति की प्रबलता शरीर की ग्रंथियों के ऊपर निर्भर करती है शरीर में बहुत सी ग्रंथियां हैं तथा प्रत्येक ग्रंथि से विशेष विशेष रस क्षरित होता है रस क्षरण में किसी प्रकार की गड़बड़ी,कम या ज्यादा रहने पर या ग्रंथि के स्थान पर किसी प्रकार की त्रुटि रहने पर विशेष विशेष वृत्तियों की प्रबलता दिखाई देती है इसी कारण से देखा जाता है की इच्छा रहने पर भी अनेक लोग नीति ज्ञान को मानकर नहीं चल सकते ,अच्छा मनुष्य बनने की इच्छा रहने पर भी अच्छा मनुष्य नही बन पाते साधना करना उचित समझते हैं किंतु साधना में मन एकाग्र नहीं कर सकते किसी ने किसी बहिर्मुखी वृत्ति के प्रभाव से उनका मन दूर दौड़ पड़ता है वृत्ति को नियंत्रित करने की इच्छा होने पर उसकी ग्रंथि की त्रुटि को दूर करना होगा ।
आसन उस काम में साधक को बहुत फायदा करता है इसलिए आसन साधना का एक बड़ा अंग है। इस अवसर पर पद्मासन,उत्क्षेपमुद्रा, योगमुद्रा ,दीर्घ प्रणाम, भुजंगासन, समेत कई आसन का अभ्यास कराया गया। अनेक आसन हैं जो जन्तु जानवरों के चेहरों से मिलते जुलते हैं इनका नामकरण भी विशेष विशेष जंतु जानवरों के नाम पर किया गया इस प्रकार के अनेक पशु पक्षी हैं जिनमें विशेष विशेष विशेषताएं देखी जाती हैं जो मनुष्यों में दृष्टिगोचर नहीं होती इस सभी पशु पक्षियों का शारीरिक गठन ही ऐसा है कि वह विशेष ग्रंथि क्षरण को प्रभावित करता है इसके फलस्वरूप विशेष गुण कीअधिकता देखी जाती है कछुआ बड़ी ही आसानी से अपने को समेट कर रख सकता है मनुष्य भी अगर कुछ देर इसी तरह बैठ सके तो वह भी अपने को भी जगत से हटा ले सकता है इस अवस्था का नाम कुर्मकासन है वैसे ही मयूरासन यदि व्यक्ति मयूरासन करें तो वह व्यक्ति जिनमें अग्निमांद्य अर्थात पेट की समस्या हो तो वह आसानी से दूर हो सकता है आसन का अभ्यास खुले जगह पर नहीं करना चाहिए बल्कि जहां हवा का प्रवाह तेज ना हो ऐसी जगह पर आसन करना चाहिए ताकि व्यक्ति पर ठंड गर्म ना लगे वैसे ही आसन के कम से कम 20 मिनट के बाद जल के संपर्क में आना चाहिए नही तो ठंड लगने की संभावना होती है जहाँ धूल धुआं ना हो वैसे जगह आसन करना है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सीनी पोस्ट कमांडर अमल कुमार घोष, बालचंद साहू, गोपी था ,राकेश सिंह,बलराम यादव,निमय आचार्य, भुक्ति प्रधान गोपाल बर्मन ,गोपी नागर चंद महतो एवं स्काउट एवं गाइड के सदस्य शामिल हुए।
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