उदित वाणी, चांडिल: चांडिल प्रखण्ड के आसनबनी स्थित एमबीएनएस ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन परिसर में बुधवार को सरहुल महोत्सव पूरे उत्साह और पारंपरिक उल्लास के साथ मनाया गया. कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने पारंपरिक वेशभूषा में ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते हुए अतिथियों का स्वागत किया. कॉलेज प्रांगण आदिवासी संस्कृति के रंग में डूबा नजर आया.
पूजा, नृत्य और सखुआ के फूलों से सजी रही पहचान
विद्यार्थियों ने सरहुल के अवसर पर आदिवासी रीति-रिवाज के अनुसार वृक्षों की पूजा की. सखुआ (शाल) के फूलों को कानों और जुड़ों में लगाकर छात्र-छात्राओं ने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किया. पूजा-अर्चना के क्रम में सभी ने क्षेत्र की सुख-शांति व समृद्धि की कामना की.
“प्रकृति से जुड़ने की प्रेरणा है सरहुल” – अनुपमा सिंह
इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एमबीएनएस ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन की निदेशक अनुपमा सिंह रहीं. उन्होंने विद्यार्थियों को पर्व की बधाई देते हुए कहा कि “सरहुल केवल पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति से आत्मीय संबंध स्थापित करने का माध्यम है. यह हमें सिखाता है कि पेड़-पौधे, जल, वायु जैसे प्राकृतिक तत्वों के बिना जीवन अधूरा है.”उन्होंने आगे कहा कि झारखंड की यह परंपरा पर्यावरण संरक्षण का जीवंत उदाहरण है और आने वाली पीढ़ियों को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए.
सहभागिता से सजी सरहुल की शाम
इस आयोजन में संस्थान के अध्यक्ष विवेक कुमार सिंह, सहायक शिक्षिका दीपिका भारती, भवातरन भगत, मधुसूदन महतो, मिली कुमारी, पिंकी सिंह समेत शिक्षकों, कर्मचारियों और सभी विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी रही. कार्यक्रम में पूरे दिन उमंग और उत्साह का वातावरण बना रहा.
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