उदित वाणी, चांडिल: ओल चिकी लिपि के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में चांडिल प्रखंड के शहरबेड़ा उत्क्रमित मध्य विद्यालय में एक विशेष प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन किया गया. यह परीक्षा ‘मिशन ओल चिकी लिपि 2025’ के तहत सत्यनारायण सोशियो-इकोनॉमिक एंड रिसर्च सेंटर (SSERC) के तत्वावधान में संपन्न हुई.
झारखंड, उड़ीसा और बंगाल से जुटे प्रतिभागी
परीक्षा में कुल 173 परीक्षार्थियों ने भाग लिया. इनमें झारखंड के साथ-साथ पड़ोसी राज्य उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के प्रतिभागी भी शामिल हुए. आयोजन का उद्देश्य ओल चिकी लिपि के प्रति जागरूकता फैलाना और उत्कृष्ट विद्यार्थियों को सम्मानित करना रहा.
मरांग गोमके की जयंती पर होगा परिणाम घोषित
परीक्षा का परिणाम 12 मई को रामगढ़ में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में घोषित किया जाएगा. यह कार्यक्रम ओल चिकी लिपि के जनक, मरांग गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू की 120वीं जयंती के अवसर पर आयोजित होगा.
उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को मिलेगा विशेष पुरस्कार
परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले अभ्यर्थियों को लैपटॉप, साइकिल, पंखा, स्कूल बैग और प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा. आयोजन से यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि ओल चिकी लिपि को जानना न सिर्फ गर्व की बात है, बल्कि यह प्रतिभा और पहचान का भी साधन बन सकता है.
सामुदायिक सहयोग से सफल हुआ आयोजन
परीक्षा को सफल बनाने में आसानबनी पंचायत के मुखिया बिदु मुर्मू, समाजसेवी और SSERC के सचिव सत्यनारायण मुर्मू, परीक्षा नियंत्रक शंकर मुर्मू, कोऑर्डिनेटर बद्रीनाथ मार्डी, बबलू मुर्मू, रतन मार्डी और कई ओल चिकी शिक्षक—सत्य रंजन सोरेन, नरेंद्र मांझी, गोल्डन टुडू, दिनेश सोरेन, लखन मांझी, अनिमा टुडू तथा ओल चिकी प्रेमी सुनाराम मांझी, सोनाराम बेसरा, गुरुचरण कर्मकार आदि की भूमिका सराहनीय रही.
भविष्य की ओर संकेत करता यह प्रयास
SSERC के सचिव सत्यनारायण मुर्मू ने बताया कि इस परीक्षा का उद्देश्य केवल परीक्षा नहीं, बल्कि ओल चिकी लिपि के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए समाज में नई ऊर्जा भरना है. जब युवा इस लिपि को अपनाएंगे, तभी सांस्कृतिक धरोहर जीवंत रह सकेगी.
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