
उदित वाणी, रांची:राजधानी रांची ने गुरुवार 5 जून को एक नया मील का पत्थर छू लिया, जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सिरम टोली चौक से राजेंद्र चौक तक बने 2.34 किमी लंबे फोरलेन फ्लाईओवर, एलिवेटेड पथ और रेलवे ओवरब्रिज (ROB) का विधिवत उद्घाटन किया. साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सिरमटोली फ्लाईओवर का नाम इस राज्य के अग्रणी मार्गदर्शक रहे कार्तिक उरांव के नाम पर रखने की भी घोषणा की.
तकनीकी उत्कृष्टता का प्रतीक
यह फ्लाईओवर केबल-स्टे डिज़ाइन पर आधारित है, जिसमें 132 मीटर का स्टील स्ट्रक्चर शामिल है. भारत में पहली बार रेलवे लाइन के ऊपर बोरोपाइलिंग तकनीक का प्रयोग किया गया है, जो संरचना को अधिक मजबूत और टिकाऊ बनाता है. राजेंद्र चौक से सुजाता चौक के बीच यातायात को जोड़ते हुए यह फ्लाईओवर करीब 40% ट्रैफिक डायवर्जन सुनिश्चित करेगा. इससे शहरवासियों का समय बचेगा और आवागमन सुगम होगा.
निर्माण से पहले भारी बाधाएं
इस परियोजना में कुल 51 भवनों को स्थानांतरित किया गया. साथ ही विद्युत पोल, पाइपलाइन, कब्रिस्तान और मंदिर जैसी संरचनाओं को सावधानीपूर्वक हटाकर निर्माण कार्य पूरा किया गया. इस परियोजना को रांची, कोलकाता, लखनऊ और बैंगलोर स्थित रेलवे सुरक्षा आयुक्तों से स्वीकृति प्राप्त करनी पड़ी. साथ ही झारखंड उच्च न्यायालय में लंबित एक मामले का समाधान कर सफलता प्राप्त की गई.
सरना स्थल विवाद: विकास बनाम संस्कृति
फ्लाईओवर का एक हिस्सा सरना स्थल के निकट से गुजरता है. आदिवासी संगठनों ने इसे धार्मिक स्थल पर अतिक्रमण बताते हुए आपत्ति जताई है. सरकार ने इस पर संवेदनशील रुख अपनाते हुए 131 मीटर के हिस्से को घटाकर 84 मीटर कर दिया है, जिससे स्थल की खुली परिधि सुरक्षित रखी जा सके.
मुख्यमंत्री की बात
इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यह फ्लाईओवर रांचीवासियों के लिए एक उपयोगी सौगात है. इससे न केवल शहर की यातायात व्यवस्था सुलझेगी बल्कि यह रांची के समग्र विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है. सिरम टोली-मेकॉन फ्लाईओवर निस्संदेह रांची के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. लेकिन साथ ही इस परियोजना से जुड़े सांस्कृतिक और धार्मिक प्रश्नों का समाधान संवाद के माध्यम से खोजा जाना आवश्यक है. ताकि विकास और सामाजिक संवेदनशीलता दोनों के बीच संतुलन कायम रहे.
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