उदित वाणी, रांची : झारखंड मुक्ति मोर्चा के दो दिवसीय 13वें महाधिवेशन के आखिरी दिन दिशोम गुरू शिबू सोरेन ने पार्टी की कमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सौंप दी. इसके साथ ही झामुमो में एक युग का अंत हो गया और पार्टी की बागडोर दूसरी पीढ़ी के नेता ने संभाल लिया. गुरूजी के प्रस्ताव पर खेलगांव स्थित हरवंश टाना भगत स्टेडियम में खचाखच भरे पार्टी प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से हेमंत सोरेन को झामुमो के केन्द्रीय अध्यक्ष बनाये जाने पर मुहर लगा दी. इससे पूर्व दुमका के सांसद व पार्टी के वरिष्ठ नेता नलिन सोरेन ने शिबू सोरेन को संस्थापक संरक्षक बनाये जाने का प्रस्ताव पेश किया. जिसका समर्थन झामुमो के दूसरे वरिष्ठ विधायक प्रो स्टीफन मरांडी ने किया और उपस्थित प्रतिनिधियों ने तालियों की गड़गडाहट के साथ इस पर भी मुहर लगा दी और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन 38 साल तक पार्टी को सींचने के बाद केंद्रीय अध्यक्ष से संस्थापक संरक्षक बने.
वहीं हेमंत सोरेन के केन्द्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद केन्द्रीय पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी सदस्यों के मनोनयन का अधिकार भी पार्टी ने उन्हें सौंप दिया. इससे पहले झामुमो के निवर्तमान महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने पार्टी के केन्द्रीय समिति के 289 सदस्यों के नामों की घोषणा की. केन्द्रीय समिति में सरायकेला-खरसवां जिले से 12, पश्चिम सिंहभूम जिले से 13 व पूर्वी सिंहभूम जिले से 17 प्रमुख नेताओं को शामिल किया गया है. जबकि केन्द्रीय समिति में राज्य के सभी जिलों के अलावा पड़ोसी राज्य ओडिशा, पश्चिम बंगाल व बिहार समेत अन्य राज्य के नेताओं को भी जगह दी गई है.
35 साल में हेमंत बने उपमुख्यमंत्री, जेल से निकलने के बाद और मजबूत व परिपक्व नेता के रूप् में उभरे
10 अगस्त 1975 को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में जन्मे हेमंत सोरेन दिशोम गुरु शिबू सोरेन के तीसरे पुत्र हैं. हेमंत सोरेन बर्ष 2005 में दुमका से पहला विधानसभा चुनाव लड़े. लेकिन निर्दलीय स्टीफन मरांडी से चुनाव हार गए. झामुमो छात्र युवा मोर्चा के रास्ते पार्टी में शामिल होनेवाले हेमंत सोरेन बर्ष 2009 में 34 बर्ष की उम्र में राज्यसभा सदस्य बने. हेमंत उसी साल दुमका से विधायक भी निर्वाचित हुए और अर्जुन मुंडा सरकार में पहली बार 35 साल की उम्र में उपमुख्यमंत्री और बाद में मुख्यमंत्री बने. वे बर्ष 2014 में बरहेट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते और नेता प्रतिपक्ष बने तथा बर्ष 2019 से अबतक मुख्यमंत्री के पद पर काबिज हैं. बर्ष 2009 में विधानसभा चुनाव जीतने व बड़े भाई दुर्गा सोरेन की मृत्यु के बाद से ही हेमंत सोरेन को शिबू सोरेन के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाने लगा था. हेमंत सोरेन 31 जनवरी 2024 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल गए और पांच माह बाद रिहा होकर फिर मुख्यमंत्री बने. जेल से निकलने के बाद हेमंत और मजबूत व परिपक्व नेता के रूप में उभरे तथा सत्ता में जोरदार वापसी की.
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