उदित वाणी, झारखंड: राष्ट्रीय फ्लोरोसिस नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 8 अप्रैल 2025 को छावनी बालिका मध्य विद्यालय, रामगढ़ में एक दिवसीय जांच शिविर का आयोजन किया गया. इस शिविर की संयुक्त अध्यक्षता सिविल सर्जन डॉ. महालक्ष्मी प्रसाद और जिला नोडल पदाधिकारी डॉ. तुलिका रानी ने की.
इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ. महालक्ष्मी प्रसाद ने बताया कि फ्लोरोसिस एक लाइलाज बीमारी है और इससे बचाव ही एकमात्र उपाय है. यदि समय रहते बीमारी का पता चल जाए, तो यह कंकाल तक नहीं पहुंचती. उन्होंने कहा कि यह रोग आमतौर पर कम उम्र में दांतों पर भूरे धब्बे, पेट दर्द, कब्ज और जोड़ों में दर्द जैसी समस्याओं के रूप में सामने आता है. उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल, रामगढ़ में लोग निःशुल्क अपने पीने के पानी और पेशाब की फ्लोरोसिस जांच करवा सकते हैं.
जिला नोडल पदाधिकारी डॉ. तुलिका रानी ने बताया कि यह बीमारी पीने के पानी में अत्यधिक फ्लोराइड की मात्रा के कारण होती है. साथ ही सेंधा नमक, काला नमक और लाल चाय के अधिक सेवन से भी फ्लोरोसिस की आशंका बढ़ जाती है. उन्होंने सुझाव दिया कि लोगों को हरी पत्तेदार सब्जियां, खट्टे फल जैसे संतरा, नींबू, आंवला और दूध से बने पदार्थों का सेवन करना चाहिए ताकि शरीर में फ्लोराइड एकत्र न हो.
शिविर के दौरान कुल 98 बच्चों की जांच की गई, जिसमें डॉक्टर पल्लवी कौशल (जिला कंसल्टेंट) और सीएचओ जुही ज्योति ने मुख्य भूमिका निभाई. जांच के बाद 22 बच्चों में फ्लोरोसिस के लक्षण पाए गए, जिनमें से 12 बच्चों की लैब जांच में रोग की पुष्टि हुई. सैंपल की जांच लैब टेक्नीशियन श्री जीतेंद्र कुमार द्वारा की गई.
शिविर को सफल बनाने में क्षेत्र की सीएचओ, सहिया और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों का विशेष योगदान रहा.
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