
उदित वाणी, रांची: केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक में भारतीय रेल की दो प्रमुख बहुपटरीकरण (मल्टीट्रैकिंग) परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है. ये योजनाएं झारखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के सात जिलों को शामिल करते हुए देश के रेलवे नेटवर्क को और अधिक दक्ष, टिकाऊ और पर्यावरणीय रूप से अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही हैं. सरकार का दावा है कि इन परियोजनाओं से न केवल यात्रा सुविधाओं में सुधार होगा, बल्कि लॉजिस्टिक लागत में कमी आएगी और कार्बन उत्सर्जन भी घटेगा, जिससे हरित परिवहन को बढ़ावा मिलेगा.
कोडरमा-बरकाकाना बहुपटरीकरण परियोजना
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कोडरमा से बरकाकाना के बीच 133 किमी की डबल लाइन निर्माण को मंजूरी मिल चुकी है. इस पर कुल 3,063 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इस परियोजना से झारखंड के कोडरमा, चतरा, हजारीबाग और रामगढ़ जिलों को बेहतर कनेक्टिविटी प्राप्त होगी. साथ ही पटना और रांची के बीच की दूरी में भी कमी आएगी. पर्यावरणीय प्रभाव का ज़िक्र करते हुए रेल मंत्री ने कहा, “इस परियोजना से होने वाली कार्बन डाईऑक्साइड कटौती की गणना विशेषज्ञों ने की है, जो सात करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है. इससे हर वर्ष लगभग 32 करोड़ लीटर डीज़ल की बचत भी होगी.” यह परियोजना 938 गांवों और लगभग 15 लाख लोगों के जीवन को सीधे प्रभावित करेगी. इसके साथ ही यह लाइन सालाना 30.4 मिलियन टन अतिरिक्त माल ढो सकेगी, जो सड़क परिवहन की तुलना में कहीं अधिक पर्यावरण अनुकूल होगा.
बल्लारी-चिकजाजुर बहुपटरीकरण परियोजना
दूसरी बड़ी परियोजना के तहत कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में बल्लारी से चिकजाजुर तक 185 किलोमीटर की रेलवे लाइन का डबलिंग कार्य स्वीकृत किया गया है. इस पर अनुमानित 3,342 करोड़ रुपये की लागत आएगी.इस परियोजना से मंगलूर पोर्ट से माल परिवहन की सुविधा और तेज़ होगी, जिससे औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों को गति मिलेगी.
लॉजिस्टिक्स लागत में आएगी कमी
रेल मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में परिवहन सुधार सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है. आईआईएम बैंगलोर और आईआईएम कलकत्ता के हालिया अध्ययनों के अनुसार, इन परियोजनाओं के कारण भारत की लॉजिस्टिक्स लागत में लगभग 4 प्रतिशत की कमी आई है.
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