उदित वाणी, जमशेदपुर: टाटा स्टील ने अग्रणी भूविज्ञानी प्रमथनाथ बोस (जिन्हें पी एन बोस के नाम से जाना जाता है) की 167वीं जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी. टाटा स्टील प्रबंधन के अधिकारियों और कर्मचारियों ने आर्मरी ग्राउंड के पास स्थित पीएन बोस की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित की. मौके पर टाटा स्टील के वीपी (रॉ मेटेरियल) डी बी सुंदरराम, वीपी कारपोरेट सर्विसेस चाणक्य चौधरी समेत टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव कुमार चौधरी भी उपस्थित थे.
धातु के वास्तुकार थे बोस
डीबी सुंदरराम ने कहा कि पीएन बोस खानों और धातुओं के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में एक वास्तुकार थे और यह उनकी दूरदर्शिता और खोज थी जिसके परिणामस्वरूप जमशेदपुर में भारत के पहले एकीकृत इस्पात संयंत्र का जन्म हुआ. हम और आने वाली पीढ़ी उनके सपनों को साकार करने के लिए उनके पदचिन्हों पर चलेंगे. टाटा स्टील को हाल की नीलामी में कुछ और खदानें मिली हैं, जिससे कंपनी और उसके सभी हितधारकों के भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा. टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव कुमार चौधरी ने कहा कि भारतीय भूविज्ञानी पी एन बोस का योगदान बहुत बड़ा है. उनकी सबसे उत्कृष्ट उपलब्धि मयूरभंज राज्य में गोरुमहिसानी की पहाड़ियों में लौह अयस्क के भंडार की खोज थी. उन्होंने जेएन टाटा को एक पत्र के माध्यम से इन निष्कर्षों के बारे में सूचित किया. इसी तरह जमशेदपुर में टाटा स्टील प्लांट की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था.
टाटा स्टील के सभी माइंस में कार्यक्रम आयोजित
टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट समेत सभी स्थानों पर टाटा स्टील के कर्मचारियों के लिए डिजिटल श्रद्धांजलि की भी योजना बनाई गई थी. बच्चों सहित समुदाय के लोगों ने भी उत्सव में भाग लिया. वेस्ट बोकारो में टाटा डीएवी पब्लिक स्कूल में क्विज और ड्राइंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. चित्रकला प्रतियोगिता में कक्षा 3-6 के 180 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया. कंपनी के माइंस के स्थानों पर पीएन बोस के योगदान को दर्शाने वाली एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया.पीएन बोस मेमोरियल लेक्चर का आयोजन टाटा स्टील के प्राकृतिक संसाधन विभाग ने सेंटर फॉर एक्सीलेंस में चौथे पीएन बोस मेमोरियल लेक्चर का भी आयोजन किया. व्याख्यान के अतिथि वक्ता प्रो. शिशिर कांति मंडल (पीएचडी), भूवैज्ञानिक सेवा विभाग, जादवपुर विश्वविद्यालय थे. रॉयल स्कूल ऑफ माइंस से पढ़ाई की 12 मई, 1855 को पश्चिम बंगाल के एक सुदूर गांव में जन्मे भूविज्ञानी पीएन बोस ने लंदन विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1878 में रॉयल स्कूल ऑफ माइंस से उत्तीर्ण हुए. भूवैज्ञानिक के रूप में उन्होंने धुल्ली और राजहरा में लौह अयस्क खदानों की खोज की. उनके जीवन की सबसे उत्कृष्ट उपलब्धि मयूरभंज राज्य में गोरुमहिसानी की पहाड़ियों में लौह अयस्क के भंडार की खोज थी. खोज के बाद पी एन बोस ने 24 फरवरी, 1904 को जे एन टाटा (टाटा स्टील के संस्थापक) को एक पत्र लिखा, जिसके कारण 26 अगस्त, 1907 को साकची में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी की स्थापना हुई.
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