रांची: झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की खुली अवहेलना कर रही है. मरांडी ने आरोप लगाया कि झारखंड देश का पहला राज्य बन गया है जहां दस दिनों से डीजीपी का पद औपचारिक रूप से रिक्त है. बावजूद इसके, केंद्र के नियमों के तहत 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो चुके आईपीएस अनुराग गुप्ता को डीजीपी के तौर पर बनाए रखा गया है.
“बिना वेतन, बिना संवैधानिक वैधता, सिर्फ भ्रष्टाचार का दम”
नेता प्रतिपक्ष ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए लिखा, “निर्लज्जता की भी एक सीमा होती है, लेकिन इस सरकार ने सारी हदें पार कर दी हैं. डीजीपी पद खाली है और जो अधिकारी उसकी भूमिका निभा रहे हैं, वे बिना वेतन के कार्य कर रहे हैं. यह नया भारत निर्माण है — जहां न वैधानिकता है, न पारदर्शिता, केवल भ्रष्टाचार का बोलबाला है.”
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी का आरोप
मरांडी ने आरोप लगाया कि सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 312 और सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार मामले में दिए गए दिशानिर्देशों को नजरअंदाज कर दिया है. उन्होंने लिखा, “हेमंत सोरेन खुद को सर्वोच्च न्यायालय से भी ऊपर समझने लगे हैं और प्रशासन को गिराकर रख दिया है.”
“झारखंड में चयन नहीं, सौदेबाजी हो रही है”
भाजपा नेता ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राज्य में योग्यता नहीं, सुविधा शुल्क आधारित प्रशासनिक ढांचा खड़ा किया जा रहा है. “जेपीएससी की कुर्सियां बोली में बिक रही हैं और यूपीएससी से चुने गए अधिकारियों को भी ‘रेट लिस्ट’ से होकर गुजरना पड़ता है. यह परंपरा झारखंड के प्रशासनिक ढांचे के लिए विनाशकारी सिद्ध होगी.”
व्यंग्यात्मक प्रस्ताव: “बिना वेतन, कमीशन आधारित सेवा मॉडल अपनाएं”
मरांडी ने सरकार की नीति पर तंज कसते हुए लिखा, “क्यों न अब कोयला और खनिज क्षेत्रों में ‘बिना वेतन, केवल कमीशन आधारित सेवा’ के लिए सेवानिवृत्त अधिकारियों से आवेदन मंगवाए जाएं. अगर डीजीपी के पद पर यही मॉडल लागू हो सकता है, तो अन्य जगह भी इसे लागू कर दीजिए.”
केंद्र सरकार की आपत्ति: नियुक्ति नियमों के विरुद्ध
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के पत्र के अनुसार, झारखंड सरकार द्वारा 2 फरवरी 2025 को अधिसूचित नियमों के तहत अनुराग गुप्ता को दो वर्षों के लिए डीजीपी नियुक्त किया गया. हालांकि, केंद्र ने इस नियुक्ति को नियमों के विरुद्ध बताया है. मंत्रालय के अनुसार, यह नियुक्ति न केवल अखिल भारतीय सेवा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के भी खिलाफ है. नियम 16(1) के अनुसार, सेवानिवृत्ति के बाद अनुराग गुप्ता को डीजीपी पद पर बनाए रखना विधिसम्मत नहीं है.
(IANS)
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