रांची: झारखंड में लगभग 100 करोड़ रुपए के शराब घोटाले की जांच अब केंद्रीय एजेंसियों — ED और CBI — के हवाले होने की संभावना प्रबल हो गई है. राज्य के एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा गिरफ्तार किए गए वरिष्ठ IAS अधिकारी विनय चौबे और संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेंद्र सिंह छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में भी आरोपी रह चुके हैं.
छत्तीसगढ़ में पहले से चल रही जांच, अब झारखंड की बारी?
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच पिछले वर्ष ED द्वारा शुरू की गई थी. इसी माह वहां की सरकार ने इस मामले को CBI को सौंपने का निर्णय लिया. चूंकि दोनों राज्यों में शराब नीति एक जैसी रही है और आरोपित अधिकारी भी समान हैं, ऐसे में झारखंड में भी ED और CBI की सक्रियता लगभग तय मानी जा रही है.
झारखंड की शराब नीति का ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’
वर्ष 2022 में झारखंड सरकार ने छत्तीसगढ़ की तर्ज पर नई शराब बिक्री नीति लागू की. इसके क्रियान्वयन के लिए छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CSMCL) को परामर्शदाता बनाया गया. जांच में खुलासा हुआ कि इसी समझौते के माध्यम से गड़बड़ियों की शुरुआत हुई. नीति के कार्यान्वयन में तत्कालीन आबकारी सचिव विनय चौबे और संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह की प्रमुख भूमिका रही.
FIR से उभरी गहरी साजिश की परतें
रांची निवासी विकास सिंह की शिकायत पर छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (EoU) ने इन दोनों अधिकारियों सहित सात अन्य के विरुद्ध FIR दर्ज की थी. आरोप है कि एक सिंडिकेट ने झारखंड के अधिकारियों की मदद से नीति में बदलाव कराया, जिससे ठेके अपने लोगों को दिलवाए जा सकें. फर्जी होलोग्राम लगाकर देसी शराब बेची गई और विदेशी ब्रांड्स को अवैध रूप से सप्लाई कर करोड़ों की काली कमाई की गई.
नियमों में बदलाव कर सिंडिकेट को लाभ पहुंचाने का आरोप
FIR में यह भी कहा गया है कि आईएएस विनय चौबे और गजेंद्र सिंह ने उच्च अधिकारियों की अनुमति से टेंडर नियमों में ऐसा बदलाव किया जिससे केवल चुने हुए ठेकेदारों को ही लाभ मिले. इस नीति के कारण 2022 से 2023 के बीच राज्य को भारी राजस्व नुकसान हुआ.
कौन-कौन हैं अन्य आरोपी?
इस घोटाले में जिन अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें छत्तीसगढ़ के पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, व्यवसायी अनवर ढेबर, छत्तीसगढ़ विपणन निगम के पूर्व MD अरुणपति त्रिपाठी, पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास, अरविंद सिंह और नोएडा के कारोबारी विधु गुप्ता शामिल हैं.
ED ने की थी झारखंड में छापेमारी, मिले डिजिटल साक्ष्य
EoU की FIR के आधार पर ED ने पिछले वर्ष ECIR दर्ज कर जांच शुरू की थी. अक्टूबर 2024 में ED ने झारखंड में विनय चौबे और गजेंद्र सिंह के ठिकानों पर छापेमारी कर आईफोन सहित कई डिजिटल सबूत जब्त किए थे.
ACB की गिरफ्तारी के बाद बढ़ा मामला
20 मई को झारखंड ACB ने राज्य सरकार की अनुमति लेकर प्राथमिक जांच (PE) शुरू की. उसी दिन छह घंटे लंबी पूछताछ के बाद ACB ने घोटाले में इन अधिकारियों की संलिप्तता पाई और एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
(IANS)
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