रांची: झारखंड में ज़मीन की अवैध खरीद-बिक्री को लेकर मामला लगातार तूल पकड़ रहा है. विशेष रूप से आदिवासी भुईहरी ज़मीन की प्रकृति बदलकर बेचे जाने को लेकर राज्य के राजनीतिक हलकों में बहस तेज़ हो गई है.भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया के ज़रिए सरकार को घेरा है. उन्होंने लिखा है कि रांची के कांके अंचल के चामा गांव में ज़मीन की हेराफेरी के बारे में उन्होंने स्वयं ग्रामीणों से जानकारी ली और इसे प्रशासन के संज्ञान में लाया था.मरांडी का आरोप है कि इन ज़मीनों पर सत्ता से जुड़े लोगों की संगठित नजर है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि इंडी गठबंधन से जुड़े नेता और ज़मीन माफिया मिलकर रैयती, पहनाई, भुईहरी और गैर-मजरुआ ज़मीनों पर कब्जा कर रहे हैं.
रांची में आदिवासी भुईहरी जमीन की प्रकृति बदलकर उसे बेचे जाने का मामला अत्यंत गंभीर है। कांके के चामा गांव में मैंने स्वयं ग्रामीणों से मिलकर जमीन की हेराफेरी की जानकारी ली थी और इसे प्रशासन के संज्ञान में लाया था।
कांके अंचल की कई जमीनों पर INDI गठबंधन के नेताओं और जमीन माफियाओं…
— Babulal Marandi (@yourBabulal) April 13, 2025
सत्ता की मिलीभगत पर गहरा संदेह
मरांडी ने आरोप लगाया कि यह पूरा खेल सिर्फ एक कंप्यूटर ऑपरेटर के बूते संभव नहीं हो सकता. उन्होंने आशंका जताई कि इसमें अंचलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक की मिलीभगत हो सकती है.उन्होंने यह भी कहा कि बरियातू में भुईहरी ज़मीन पर कब्जे के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भूमिका किसी से छिपी नहीं है.
न्यायिक जांच की मांग
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की गहराई से निष्पक्ष जांच की जाए और ज़िम्मेदार अधिकारियों एवं माफियाओं पर कठोर कार्रवाई हो. उन्होंने कहा कि यदि इस विषय पर सरकार चुप रहती है तो इससे स्पष्ट संकेत जाएगा कि सत्ता खुद इस घोटाले की संरक्षक है.
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